
रुपया गिरने से आम लोगों की जेब पर भी पड़ सकता है भार
संक्षेप: - पेट्रोलियम उत्पाद समेत आयातित वस्तुओं की कीमतों में होगा इजाफा नई दिल्ली। विशेष
- पेट्रोलियम उत्पाद समेत आयातित वस्तुओं की कीमतों में होगा इजाफा नई दिल्ली। विशेष संवाददाता

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है। सोमवार को रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। अब इस गिरावट को आम आदमी के लिहाज से देखा जाए तो उसकी जेब पर भी बोझ बढ़ेगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि रुपये की गिरावट से जहां अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होगी तो वहीं आम आदमी की जेब पर भी महंगाई का बोझ बढ़ेगा। भारत में पेट्रोल-डीजल से लेकर अन्य आयात किए जाने वाले सामान महंगे हो सकते हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं कि भारत दुनिया के बाकी देशों से जो भी सामान खरीदता है, उसमें से अधिकांश का भुगतान डालर में करता है। इससे साफ है कि एक डॉलर को खरीदने के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। इससे आयात खर्च बढ़ेगा, जिससे देश के अंदर पेट्रोल, डीजल, गैस, सूखे मेवा, खाद्य तेल, कपड़े समेत अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती है। ऊपर से सरकार का विदेशी रिजर्व भी कम होगा। बीते पांच- छह महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिर रहा है। रुपये में गिरावट के पीछे प्रमुख कारण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ को लेकर दिए गए बयान को अहम माना जा रहा है। उनका कहना है कि भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर कर (टैरिफ) ज्यादा है। इससे बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। अब सरकार को रुपये में गिरावट से महंगाई के खतरे को कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर कोरोना के समय लगाई गई ड्यूटी एवं वैट को हटाना चाहिए, जिससे कीमतों पर कोई असर न पड़े।

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