सरकारी बीमा कंपनियों को नुकसान वाले कारोबार से बचने की सिफारिश की सिफारिश
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने संसद में सौंपी अपनी एक रिपोर्ट में सभी चार सरकारी बीमा कंपनियों को नुकसान वाले कारोबार से बचने की...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने संसद में सौंपी अपनी एक रिपोर्ट में सभी चार सरकारी बीमा कंपनियों को नुकसान वाले कारोबार से बचने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की सभी चार बीमा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2016-17 से 2020-21 तक सभी पांच वर्षों में स्वास्थ्य बीमा पोर्टफोलियो में नुकसान उठाया है। इस दौरान कंपनियों का कुल नुकसान 26,364 करोड़ रुपये का रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये नुकसान समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के कारण हुआ, जहां प्रभारित प्रीमियम कम था और दावा व्यय खुदरा पॉलिसियों की तुलना में ज्यादा था। सीएजी की तरफ से सुझाव दिया गया है कि ये कंपनियां, केंद्रित कार्रवाई के माध्यम से समूह ग्राहकों से होने वाले नुकसान को लेकर वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देश का पालन करें। साथ ही इस बारे में विशिष्ट रिपोर्ट लेखा परीक्षा समिति, बोर्ड एवं वित्त मंत्रालय को हर साल दिए जाने की भी सिफारिश की गई है।
इसके अलावा सीएजी ने ये भी सिफारिश की है कि सरकारी बीमाकर्ताओं को पसंदीदा प्रदाता नेटवर्क कवरेज प्रणाली के तहत अस्पतालों की संख्या में बढ़त सुनिश्चित करने की भी जरूरत है। वहीं, अस्पतालों में वृद्धि के लिए आवश्यक लक्ष्य तय करने की जरूरत पर भी बल दिया गया है।
सीएजी ने पीएसयू बीमाकर्ताओं को एक विवेकपूर्ण दृष्टिकोण के रूप में सह-बीमा कारोबार स्वीकार करने के लिए उचित दिशा-निर्देश तैयार करने और खासतौर पर निजी बीमाकर्ताओं से नुकसान उठाने वाले सह-बीमा कारोबार से बचने की भी सिफारिश की है।