रामजस घटना ‘विद्रोह नहीं, इसे बढ़ावा न दें: अदालत
रामजस कॉलेज में छात्रों द्वारा फरवरी महीने में नारेबाजी की घटना को अदालत ने विद्रोह के रुप में प्रचारित करने से इंकार किया है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा की अदालत ने इस मामले में...
रामजस कॉलेज में छात्रों द्वारा फरवरी महीने में नारेबाजी की घटना को अदालत ने विद्रोह के रुप में प्रचारित करने से इंकार किया है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा की अदालत ने इस मामले में शिकायतकर्ता को कहा है कि जबरन इस मामले को विद्रोह का नाम न दिया जाए। अदालत ने कहा कि पुलिस जानबूझकर जांच रिपोर्ट पेश नहीं कर रही है। वहीं शिकायतकर्ता अधिवक्ता विवेक गर्ग का कहना था कि घटना के समय बहुत बड़ी संख्या में छात्र वहां मौजूद थे। सभी देश विरोधी नारेबाजी कर रहे थे। इस पर अदालत ने शिकायतकर्ता से कहा कि इसे बार बार देशद्रोह का नाम न दें। अदालत ने यह भी कहा कि यह भी देखना होगा की घटना बोलने की आजादी पर आधारित तो नहीं था। इस मामले में गर्ग की तरफ से मुकदमा दर्ज करने की मांग के साथ अदालत में शिकायतपत्र दाखिल किया गया है। शिकायतपत्र में कहा गया है कि इसी साल 21 फरवरी को रामजस कॉलेज में ऑल इंड़िया स्टूडेंट एसोसिएशन(एआईएसए) एवं स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंड़िया(एसएफआई) ने देश विरोध नारेबाजी की। अधिवक्ता गर्ग की तरफ से गुरुवार को अदालत में कहा गया कि इस प्रदर्शन के दौरान छात्र व शिक्षक ने कश्मीर मांगे आजादी एवं बस्तर मांगे आजादी जैसे नारे लगाए। इस पर अदालत ने कहा कि वह विचार कर रहे हैं कि यह मामला अभिव्यक्ति की आजादी का तो नहीं है। साथ ही अदालत ने कहा कि वह शिकायतकर्ता अधिवक्ता की दलीलों को नामंजूर करते हैं। अदालत का कहना था कि वह इस बात से सहमत नहीं है कि पुलिस जांच नहीं कर रही है। अदालत ने यह भी कहा कि छात्र नारेबाजी कर रहे थे यह कहना गलत होगा कि वह सरकार या देश के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे। अदालत ने अब इस मामले में आगे की जिरह के लिए सात अक्तूबर की तारीख तय की है।