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Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीProtests Erupt in Bhalswa Dairy Colony Against Demolition Drive

ध्वस्तीकरण के विरोध में सैकड़ों लोग सड़क पर उतरे

::विरोध:: --भलस्वा डेयरी कॉलोनी में अवैध निर्माण हटाने पहुंची थी निगम टीम --महिलाओं ने

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 13 Aug 2024 01:45 PM
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नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता: भलस्वा डेयरी कॉलोनी में मंगलवार को अवैध निर्माण हटाने पहुंची निगम और दिल्ली पुलिस की टीम को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। सैकड़ों की संख्या में लोग कॉलोनी की सड़क पर एकत्र हो गए और बैरिकेड हटाने का प्रयास किया। इसके अतिरिक्त महिलाओं ने सड़क पर बैठकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। दो घंटे से ज्यादा समय तक चले हंगामे के बाद निगम और पुलिस ने कार्रवाई रोक दी। 1976 में आवंटित हुए थे प्लॉट

स्थानीय निवासी त्रिलोक चंद ने बताया कि वर्ष 1976 में भलस्वा डेयरी कॉलोनी में कई निवासियों को डेयरी के लिए प्लॉट आवंटित हुए थे। उस दौरान लोगों ने काफी मेहनत करके यहां पर डेयरी शुरू की। अब लोगों ने गांवों की जमीन बेचकर यहां पर अपने मकान बनाए हैं। यहां पर लगभग 35 हजार लोग अपने परिवार के साथ रहते हैं।

हाईकोर्ट में दिया हलफनामा

भलस्वा डेयरी कॉलोनी निवासी श्याम यादव ने बताया कि इस मामले में हमारे वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय में हलफनामा दिया है कि कॉलोनी में मौजूद सभी रिहायशी इमारतों की मूल स्थिति बरकरार रहे। डेयरी को दूसरी जगह पर शिफ्ट कर सकते हैं। 400 से अधिक लोगों ने यह हलफनामा दिया है। इसके बाद भी विभाग मंगलवार को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने के लिए पहुंचा, जो गलत है।

कूड़े के पहाड़ हटाने के लिए कदम नहीं उठाए गए

स्थानीय निवासियों ने नगर निगम की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोग 50 वर्षों से इस कॉलोनी में रह रहे हैं। जब लोगों को यहां पर डेयरी प्लॉट आवंटित हुए थे, उस समय यहां पर लैंडफिल साइट मौजूद नहीं थी। अव्यवस्थित तरीके से 1994 में लैंडफिल साइट यहां पर बना दी गई। इसको हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। अब इस लैंडफिल साइट के कारण भलस्वा डेयरी कॉलोनी के निवासियों को बेवजह परेशान किया जा रहा है।

निगम ने अवैध निर्माण के खिलाफ नोटिस जारी किया था

बीते सप्ताह नगर निगम प्रशासन ने भलस्वा डेयरी कॉलोनी में अवैध निर्माण को हटाने के लिए लोगों को नोटिस जारी किया था। निगम अधिकारियों ने बताया कि इस नोटिस में लोगों को सूचना दी गई कि डेयरी चलाने के लिए लोगों को प्लॉट आवंटित किए गए थे, लेकिन उसकी जगह लोगों ने अनधिकृत निर्माण कर घर, दुकान, व्यावसायिक परिसर, फैक्ट्री और गोदाम बना दिए। इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय ने जुलाई में आदेश दिया था कि डेयरी प्लॉटों से अवैध निर्माण हटाकर उनकी मूल स्थिति में लेकर आएं। इसके अंतर्गत नोटिस जारी किया है।

16 अगस्त तक नहीं होगी कार्रवाई

नगर निगम ने मंगलवार को भलस्वा डेयरी में तोड़फोड़ अभियान स्थगित करते हुए उच्च न्यायालय में दलील दी कि वह 16 अगस्त तक यह अभियान शुरू नहीं करेगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि वह 16 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी। इस बीच एमसीडी सिविल लाइंस जोन के डिप्टी कमिश्नर राजेश कुमार ने कहा कि साइट पर कम पुलिस बल की तैनाती के कारण तोड़फोड़ अभियान रुका हुआ है। निगम ने आने वाले दिनों में तोड़फोड़ करने के लिए अधिक बल की मांग की है।

लोगों के कोट

50 वर्षों से अपने परिवार के साथ रह रहा हूं। घर को नहीं तोड़ा जाना चाहिए। इस संबंध में नियमों में बदलाव कर लोगों को राहत देनी चाहिए। बहुत मुश्किल से लोगों ने रकम जोड़कर घर बनाए हैं।

- राजीव खरी, स्थानीय निवासी

भलस्वा डेयरी कॉलोनी के पास अव्यवस्थित तरीके से लैंडफिल साइट को बना दिया गया। यहां पर इस साइट को बनाना ही गलत फैसला था। इस कूड़े के पहाड़ के कारण हमें परेशान किया जा रहा है। यहां पर लोगों को रोजगार मिल रहा है।

- त्रिलोक चंद, स्थानीय निवासी

लोगों के रोजगार को न उजाड़ा जाए। पशुपालन करते हुए लोग मेहनत कर अपने परिवार का खर्च पूरा कर रहे हैं। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिल्कुल गलत है। हम इसका विरोध करते हैं।

- समीर, , स्थानीय निवासी, भलस्वा डेरी कॉलोनी

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