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करियर और कोर्स की जरूरतों के मुताबिक ढलें पुस्तकालय

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददातासार्वजनिक पुस्तकालयों को आम युवाओं के करियर और कोर्स की जरूरतों के हिसाब से खुद को ढालना होगा। तभी वे एक बार फिर से आमलोगों के लिए ज्ञान के स्रोत के रूप में खुद को स्थापित...

करियर और कोर्स की जरूरतों के मुताबिक ढलें पुस्तकालय
नई दिल्ली प्रमुख संवाददाता,नई दिल्लीTue, 03 Oct 2017 11:48 PM
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नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता

सार्वजनिक पुस्तकालयों को आम युवाओं के करियर और कोर्स की जरूरतों के हिसाब से खुद को ढालना होगा। तभी वे एक बार फिर से आमलोगों के लिए ज्ञान के स्रोत के रूप में खुद को स्थापित कर सकेंगे। इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय जन पुस्तकालय सम्मेलन में मंगलवार को उद्घाटन सत्र में यह बातें कही गईं।

देश के कई राज्यों में सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना की गई है। एक समय में यहां पढ़ाई के लिए आने वालों की संख्या काफी ज्यादा हुआ करती थी। लेकिन, कुछ समय से इनके पाठकों में कमी दर्ज की जा रही है। इसे देखते हुए पुस्तकालयों को अपनी सेवाओं में बदलाव करने की आवश्यकता है। इंडियन पब्लिक लाइब्रेरी मूवमेंट की कार्यकारी निदेशक डॉ. शुभांगी शर्मा ने कहा कि पुस्तकालयों में करियर काउंसिलिंग, कोचिंग और पाठ्यक्रमों की सहयोगी सामग्री को ज्यादा से ज्यादा शामिल किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता पर पुस्तकालयों की निर्भरता भी कम होनी चाहिए। उन्होंने नई ऊर्जा, जरूरी संसाधनों और व्यापक जनसमुदाय के सहयोग से देश के डेढ़ लाख से ज्यादा सार्वजनिक पुस्तकालयों तक पहुंचने का लक्ष्य भी निर्धारित किया। कॉरपोरेट कंपनियों से फंड जुटाकर पुस्तकालय ऐसा कर सकते हैं। इस मौके पर नैसकॉम फाउंडेशन के सीईओ श्रीकांत सिन्हा, अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर, पिलर पाचेको और अन्य ने भी सम्मेलन में विचार व्यक्त किए।

सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अपने वीडियो संदेश में पुस्तकालयों के महत्व पर बल दिया। भारतीय पुस्तकालयों के रूपांतरण के लिए शुरू किए गए तीन दिवसीय सेमिनार में देश के अलग-अलग हिस्सों से 400 से ज्यादा पुस्तकालयों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इस सिलसिले का यह तीसरा सेमिनार है। सेमिनार की थीम 'रीचिंग द अनरीच्ड' रखी गई है।

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