ब्यूरो::ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ मानवता की लड़ाई की एक मिसाल: मुर्मु
- ऑपरेशन आत्मनिर्भर भारत मिशन की सफलता का प्रमाण - पिछले 78 वर्षों में हमने

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इतिहास में आतंकवाद के खिलाफ मानवता की लड़ाई में एक मिसाल के तौर पर इतिहास में दर्ज होगा। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया ने भारत की इस नीति का संज्ञान लिया है कि हम आक्रमणकारी नहीं बनेंगे, लेकिन अपने नागरिकों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करने में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे। इसके साथ उन्होंने पिछले 78 वर्षों में हुई प्रगति का भी जिक्र किया। निर्दोष नागरिकों की हत्या अमानवीय राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष हमें आतंकवाद का दंश झेलना पड़ा।
कश्मीर घूमने गए निर्दोष नागरिकों की हत्या कायरतापूर्ण और अमानवीय थी। भारत ने इसका जवाब बेहद फौलादी संकल्प और निर्णायक तरीके से दिया है। हमने दिखा दिया है कि जब राष्ट्र सुरक्षा का सवाल आता है तो सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी एकता ही हमारी जवाबी कार्रवाई की सबसे बड़ी विशेषता थी। यही एकता, उन सभी तत्वों के लिए सबसे करारा जवाब भी है जो हमें विभाजित देखना चाहते हैं। विभिन्न देशों में गए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में भी हमारी एकता दिखाई दी। राष्ट्रपति ने प्रतिरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत मिशन की सफलता के प्रमाण के तौर पर भी ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि परिणामों ने साबित कर दिया है कि हम सही रास्ते पर हैं। हमारे स्वदेशी विनिर्माण ने वह स्तर हासिल कर लिया है जो हमें अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बनाता है। 78 सालों में असाधारण प्रगति की मुर्मु ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक के 78 वर्षों में हमने सभी क्षेत्रों में असाधारण प्रगति की है। भारत ने आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने के मार्ग पर काफी दूरी तय कर ली है और प्रबल आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता जा रहा है। आर्थिक क्षेत्र में, हमारी उपलब्धियां साफ-साफ देखी जा सकती हैं। पिछले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की जीडीपी के साथ भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश है। राष्ट्रपति ने निरंतर सुशासन और भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता के महत्व पर भी बात की। महात्मा गांधी को याद करते हुए उनके कथन भ्रष्टाचार और पाखंड लोकतंत्र के अपरिहार्य उत्पाद नहीं होने चाहिए का हवाला देते हुए सभी नागरिकों से गांधीजी के आदर्शों को साकार करने और देश से भ्रष्टाचार को मिटाने का संकल्प लेने का आग्रह किया। हाशिये पर पड़े समुदायों को लाभ पहुंचाएं राष्ट्रपति ने इस बात पर भी खासा जोर दिया कि विकास तभी सार्थक होता है जब यह हाशिए पर पड़े समुदायों को लाभ पहुंचाए और उनके लिए नए अवसर पैदा करे। उन्होंने आगे कहा कि आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, व्यापार करने में आसानी के साथ-साथ जीवनयापन में आसानी लाने पर भी समान रूप से जोर दिया जा रहा है। मुर्मु ने कहा कि हर व्यक्ति समान है और उसके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए। सभी को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अवसरों तक समान पहुंच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी के समय बेहद गरीबी में होने के बावजूद, भारत अब एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की राह पर पूरे आत्मविश्वास से बढ़ रहा है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में वर्ष 1947 में हुए विभाजन के दर्द का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरुवार को हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया। इसमें भयानक हिंसा देखी गई और विभाजन के कारण लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। उन्होंने भयानक हिंसा और विस्थापन के लाखों पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज हम इतिहास की गलतियों के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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