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वायु प्रदूषण की रोकथाम के प्रशासन कर रवैया बेहद उदासीन व अपर्याप्त है: हाईकोर्ट

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददातादिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार के उठाए कदमों को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपर्याप्त माना। कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मसला जितना गंभीर है, सरकारें उतनी ही...

वायु प्रदूषण की रोकथाम के प्रशासन कर रवैया बेहद उदासीन व अपर्याप्त है: हाईकोर्ट
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 16 Nov 2017 11:46 PM
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नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता

दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार के उठाए कदमों को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपर्याप्त माना। कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मसला जितना गंभीर है, सरकारें उतनी ही उदासीन हैं।

जस्टिस एस रविन्द्र भट एवं जस्टिस संजीव सचदेवा की पीठ ने प्रदूषण पर लगाम के लिए पिछले सप्ताह दिए गए आदेश पर सरकारों द्वारा ठोस कदम न उठाए जाने पर यह गंभीर टिप्पणी की है। दिल्ली सरकार व तीनों निगमों ने पीठ को आश्वस्त किया है कि धूल न उड़े इसके लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाएगा। पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि बार-बार कागजी बातें की जा रही हैं। शहर के हालात में ज्यादा सुधार नहीं है। सकारात्मक बदलाव के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी है।

डीपीसीसी भी घेरे में आया :

हाईकोर्ट ने इस मामले में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अधिवक्ता संजीव से भी सवाल किया कि वह बताए कि निर्माण कार्यों में नियमों की अवहेलना, निरीक्षण के लिए कितनी टीमों का गठन किया गया। कितने लोगों पर नियमों के उल्लंघन पर दंड लगाया गया। पीठ का कहना था कि डीपीसीसी का काम पर्यावरण सुरक्षा का ही है। वहीं, डीपीसीसी की तरफ से कहा गया कि शहर में अब तक वह 50 हजार रुपये जुर्माने के तौर पर वसूले जा चुके हैं। निर्माण कार्य 25 फीसदी कम हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार कार्य कर रहे हैं।

पार्किंग शुल्क बढ़ाने का मकसद प्रदूषण रोकना :

डीपीसीसी ने हाईकोर्ट में कहा कि दिल्ली में चार गुना पार्किंग शुल्क बढ़ाने के पीछे मकसद वायु प्रदूषण पर रोक लगाना था। लोग वाहनों का उपयोग कम करेंगे तो शहर की हवा में बदलाव संभव होगा। इसका प्रभाव पिछले कुछ दिनों में नजर आया है।

अतिरिक्त फंड की मांग :

दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि केन्द्र सीएएमपीए अधिनियम के तहत अतिरिक्त फंड दे सकता है। हाईकोर्ट ने सुनवाई को 29 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। दो घंटे चली सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि 9 नवंबर के आदेश का पालन नहीं किया गया है।

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