पीडी:::सभी केंद्र जरूरी:::: पृथ्वी से बाहर की आकाशगंगा में पहली बार मैग्नेटार खोजा गया
या हैडिंग::::पृथ्वी से बाहर की आकाशगंगा में पहली बार सूर्य से लाख गुना चमकदार...

या हैडिंग::::पृथ्वी से बाहर की आकाशगंगा में पहली बार सूर्य से लाख गुना चमकदार तारा मिला
खगोल विज्ञान
-मैग्नेटार (न्यूट्रॉन तारा) एक सेकेंड के विस्फोट में हमारे सूर्य से एक लाख गुना अधिक ऊर्जा करता है उत्सर्जित
-स्पेन के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में चले शोध में एरीज के वैज्ञानिक की महत्वपूर्ण भूमिका रही
नैनीताल। कार्यालय संवाददाता
खगोल वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से करीब एक करोड़ तीस लाख प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित स्कल्पटर आकाशगंगा में पहली बार मैग्नेटार (न्यूट्रॉन तारा) देखा है। मैग्नेटार एक विशेष चुंबकीय गुणों वाला न्यूट्रॉन तारा होता है, जिससे एक विस्फोट हुआ जो सेकेंड के दसवें हिस्से तक ही नजर आया। पर इतने समय में ही मैग्नेटार से हमारे सूर्य से एक लाख गुना ज्यादा ऊर्जा उत्सर्जित हुई। यह बेहद दुर्लभ किस्म के तारे होते हैं। अब तक केवल तीस मैग्नेटार ही हमारी आकाशगंगा में रिकॉर्ड हो पाए हैं। पर हमारी आकाशगंगा के बाहर यह पहला मैग्नेटार देखा गया है।
यह नई खोज स्पेन के अंडालूसिया शोध संस्थान वैज्ञानिक प्रो. अल्बर्टो जे कास्त्रो तिराडो के नेतृत्व में वैज्ञानिक सहयोग समूह ने की है। इसमें भारत के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान( एरीज) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे की भी अहम हिस्सेदारी रही। शोध पत्र के सह लेखक रहे डॉ. शशिभूषण ने इस उत्कृष्ट शोध पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह अध्ययन न्यूट्रॉन तारों और उसके आसपास चुंबकीय तनाव कैसे उत्पन्न होते हैं, के विज्ञान को समझने के लिए महत्वपूर्ण घटक सिद्ध होगा। उन्होंने बताया कि भविष्य में आसपास की आकाशगंगाओं में मैग्नेटार तारों की निरंतर निगरानी में यह मददगार होगा। अंतरिक्ष में होने वाले तीव्र रेडियो विस्फोटों के बारे में और अधिक जानने का मार्ग प्रशस्त होगा। मैग्नेटार अब भी खगोल विज्ञान में सबसे गूढ़ घटनाओं में से एक है। यह शोध नेचर नाम की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
निष्क्रिय मैग्नेटार भी सूर्य से लाख गुना चमकदार
वैज्ञानिक समूह इस खगोलीय घटना के उच्चतम ऊर्जा के विस्फोटक क्षणों के विभिन्न स्पंदनों को मापने में कामयाब रहे हैं। मैग्नेटार विस्फोट पिछले साल 15 अप्रैल 2021 को हुआ, जो एक सेकंड के लगभग दसवें हिस्से तक ही चला। पर इससे उत्सर्जित ऊर्जा हमारे सूरज द्वारा एक लाख वर्षों में छोड़ी गई ऊर्जा के बराबर थी। विस्फोट के बाद पहला स्पंदन लगभग एक सेकेंड के लाखवें हिस्स के बराबर था, जोकि अन्य ज्ञात चरम विस्फोटों की तुलना में बहुत तेज था। निष्क्रिय अवस्था में भी मैग्नेटार हमारे सूर्य की तुलना में एक लाख गुना अधिक चमकदार हो सकते हैं।
एक सेकेंड के विस्फोट के अध्ययन में एक साल लगा
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर स्थित असीम (एएसआईएम) नामक उपकरण द्वारा इस विस्फोट का पता लगाया गया था। असीम एकमात्र उपकरण था, जो बिना संतृप्ति के अपनी पूर्ण ऊर्जा सीमा में विस्फोट की मुख्य चरमता को देख पाया। वास्तव में यह एक जटिल कार्य था, जिसमें मात्र एक सेकंड के डेटा के विश्लेषण के लिए एक वर्ष से भी अधिक समय लगा। इसके बाद वैज्ञानिक समूह इस घटना की लौकिक संरचना को हल कर पाए। आज तक हमारी आकाशगंगा में ज्ञात लगभग तीस मैग्नेटार तारों में से सिर्फ दो में ही इस प्रकार की चुंबकीय ज्वालाओं का पता लग सका है। लेकिन अन्य बाहरी आकाशगंगा में स्थित यह मैग्नेटार अब तक का सबसे दूर स्थित मेग्नेटार विस्फोट है।
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