दावा:: पाक ने अमेरिका से की अरब सागर में बंदरगाह बनाने की पेशकश
पाकिस्तान ने अमेरिका को अरब सागर में पासनी में नया बंदरगाह बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस योजना का उद्देश्य खनिज संपदा का खनन करना है। निर्माण पर 1.2 अरब डॉलर खर्च होगा। यह बंदरगाह चाबहार से 300...

इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान ने अमेरिका को अरब सागर में नया बंदरगाह बनाने और उसका संचालन करने का प्रस्ताव पेश किया है। दावा है कि पाक सेना के प्रमुख असीम मुनीर के सलाहकार ने इस संबंध में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की है। पाक सेना ने जो योजना पेश की है उसके अनुसार अमेरिका बंदरगाह बनाकर खनिज संपदा वाले क्षेत्र पासनी में दुर्लभ खनिजों का खनन करे। मीडिया रिपोर्ट में योजना को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे। पासनी बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर जिले में बंदरगाहों का शहर है जो अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगता है। ईरान से इस बंदरगाह की दूरी करीब 160 किलोमीटर है।
पासनी ग्वादर बंदरगाह से 100 किलोमीटर दूर है। ग्वादर बंदरगाह का संचालन चीन करता है। योजना के ब्लूप्रिंट में इस बंदरगाह का प्रयोग अमेरिकी सैन्य बेस के लिए होगा इसका जिक्र नहीं है। योजना का उद्देश्य बंदरगाह तक रेल नेटवर्क बढ़ाना है जिससे दुर्लभ खनिजों का खनन आसान हो सके। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने जो पेशकश की है वो कई अमेरिकी अधिकारियों से होते हुए गुजरा है। व्हाइट हाउस में मुनीर और ट्रंप की बैठक से पहले इसपर चर्चा भी हुई थी। निर्माण पर खर्च होगा 1.2 अरब डॉलर प्रस्ताव के अनुसार पासनी बंदरगाह इसलिए खास होगा क्योंकि पाकिस्तान के भीतरी इलाकों से खनिजों को आसानी से रेल नेटवर्क से भेजा जा सकेगा। इसमें खासतौर पर तांबे के साथ बैटरी और मिसाइल में इस्तेमाल होने वाले कई अहम तत्वों का आवागमन आसान होगी। योजना के अनुसार बंदरगाह को बनाने पर करीब 1.2 अरब डॉलर की रकम खर्च होगी। बंदरगाह सभी सुविधाओं से लैस होगा। चाबहार बंदरगाह से करीब पासनी पाकिस्तान ने अमेरिका से जिस पासनी बंदरगाह की पेशकश की है वो ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह से करीब 300 किलोमीटर दूर है। मालूम हो कि इस बंदरगाह का संचालन भारत और ईरान संयुक्त रूप से करते हैं। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान अपनी इस चाल के जरिए अमेरिका के लिए व्यापार के रास्ते खोलना चाहता है। इसके साथ ही अरब सागर और मध्य एशिया में अमेरिका के प्रभाव को बढ़ाना चाहता है। भारत रखेगा प्रक्रिया पर पैनी नजर जानकारों का कहना है कि भारत इस पूरी प्रक्रिया पर करीब से नजर रखेगा। चाबहार बंदरगाह भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए सीधा रास्ता है। मालूम हो कि भारत और ईरान ने संयुक्त रूप से इस टर्मिनल का संचालन करने के लिए दस साल के लिए करार किया था जिसपर अमेरिका ने इस्तेमाल करने पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था। ट्रंप- पाक प्रशासन ने किया इनकार नए प्रस्ताव को लेकर ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और पाक सेना के सलाहकार के बीच ऐसे प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हुई है। इसी तरह पाक सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पाक सेना प्रमुख के पास ऐसा कोई सलाहकार नहीं है जो बंदरगाह जैसे मसले पर चर्चा करे। ये दोनों देशों के बीच का व्यापारिक मसला है। पाकिस्तान अमेरिका से व्यापारिक साझेदारी बढ़ रहा है। सितंबर में योजना पर हुआ था मंथन हालांकि नई योजना को लेकर अमेरिका के विदेश विभाग, व्हाइट हाउस और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी नहीं की है। सितंबर में पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद पाक ने ये फैसला किया है। बैठक में पाक ने अमेरिकी कंपनियों से कृषि, तकनीक, खनन और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की अपील की थी।
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