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राज्यसभा में कृषि कानूनों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, सत्ता पक्ष ने किया बचाव

राज्यसभा में कृषि कानूनों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, सत्ता पक्ष ने किया

राज्यसभा में कृषि कानूनों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, सत्ता पक्ष ने किया बचाव
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 04 Feb 2021 08:20 PM
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राज्यसभा में कृषि कानूनों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, सत्ता पक्ष ने किया बचाव

पक्ष विपक्ष में जमकर चले शब्दों के तीर

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता

राज्यसभा में गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा जारी रहने के दौरान एक बार फिर सरकार और विपक्ष के बीच आरोप - प्रत्यारोप के तीर जमकर चले। विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए मौजूदा आंदोलन से निपटने के तरीके पर सवाल उठाया। वहीं सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने दावा किया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी प्रगति के लिए ही नए कानून लाए गए हैं।

दलीय भावना से ऊपर उठकर करें विचार

राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए राजद सदस्य मनोज झा ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर दलगत भावना से ऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण में 19 विपक्षी दलों के भाग नहीं लेने का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें शामिल नहीं होने का हमें भी दुख है लेकिन जब चीजें वास्तविकता से दूर हों तो उसमें कैसे भाग लिया जा सकता है।

मनोज झा ने कहा कि सरकार के खिलाफ हर बात देशद्रोह नहीं हो सकती और लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों को रोकने के लिए बाड़बंदी, घेराबंदी, कंटीले तार लगाए गए और खाई आदि बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए पानी और शौचालय जैसी सुविधाएं तक बंद कर दी गयी हैं।

राजद सदस्य ने कहा कि किसान अपना हक मांग रहे हैं और वे अपनी बेहतरी दूसरे लोगों की अपेक्षा बेहतर तरीके से समझते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने विमर्श को ही कमजोर बना दिया है। उन्होंने आंदोलन से निपटने के सरकार के तरीके को लेकर सवाल किया और कहा कि सरकार एकालाप को ही वार्तालाप का रूप दे रही है।

कृषि कानूनों का बचाव

भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि किसान देश के लिए रीढ़ की हड्डी और अन्नदाता हैं तथा वे अपना ही नहीं पूरे विश्व का पेट भरते हैं। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून इसलिए लाए गए ताकि उनकी प्रगति हो सके। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादी करीब 70 साल पहले मिल गयी थी लेकिन किसानों को उनकी वास्तविक आजादी नहीं मिल पायी। भाजपा नेता ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसानों को आजादी मिल सकेगी और वे देश भर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ 11 बार संवाद हुआ है और सरकार ने 18 महीने कानून स्थगित करने की भी बात की है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

सिंधिया ने घेरा

सिंधिया ने कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि पार्टी ने 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधारों का वायदा किया था। इसके अलावा राकांपा नेता और तत्कालीन संप्रग सरकार में कृषि मंत्री शरद पवार ने 2010-11 में हर राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनिवार्य बनाने संबंधी बात की थी। सिंधिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ''जुबान बदलने की आदत बदलनी होगी, जो कहें, उस पर अडिग रहें।

दिग्विजय ने साधा निशाना

सिंधिया के तुरंत बाद बोलने के लिए खड़े हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से जितने भी वादे किए गए, आज तक उनसे से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया, चाहे वह काले धन को वापस लाने का वादा हो या भ्रष्टाचार खत्म करने का या फिर दो करोड़ रोजगार सृजन का वादा हो। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से लेकर संशोधित नागरिकता कानून तक जो कुछ किया गया, उससे आम आदमी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह सरकार सबका विश्वास खो रही है।

आप सांसद ने भी किया तीखा हमला

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने राज्यसभा में सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि ये कानून किसानों के लिए नहीं बल्कि चार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाए गए हैं। सिंह ने नए कृषि कानूनों को ''काला कानून करार दिया। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 76 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और उन्हें ''आतंकवादी, गद्दार, खालिस्तानी कह कर अपमानित किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ नेता किसानों को अपमानित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि वह एक फोन कॉल पर बातचीत के लिए तैयार है, ऐसे में खुद सरकार को ही फोन कर पहल करनी चाहिए।

प्रवासी मजदूरों के बहाने प्रहार

तृणमूल सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा के राज्य के कुछ विधायक जब तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए, उस घटनाक्रम के दौरान उनके लिए दिल्ली से विमान भेजा गया था। उन्होंने कहा '' लेकिन यही उदारता सरकार अगर कोविड-19 महामारी पर रोक के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान दिखाती तो प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा नहीं होती।

दीवार और लोहे के तारों से समधान नहीं

पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों के आंदोलन स्थलों को सीमेंट की दीवारों और लोहे के तारों से घेरने से समाधान नहीं निकलेगा बल्कि सरकार को आंदोलनरत किसानों के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में चर्चा करनी चाहिए और जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए।

सदन में मौन

तृणमूल सदस्यों ने आंदोलन के दौरान कथित तौर पर जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान में डेरेक ओ ब्रायन की अगुवाई में कुछ पलों का मौन रखा। इस दौरान अन्य दलों के सदस्यों ने भी अपने स्थानों पर खड़े हो कर कुछ पलों का मौन रखा।

राजनाथ सिंह का उपयोग क्यों नहीं - दिग्विजय

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, ''किसानों से चर्चा के लिए उन्होंने (सरकार) कृषि मंत्री को लगाया लेकिन पीयूष गोयल का किसानों से क्या लेना-देना है। रखना था तो राजनाथ सिंह को रखना चाहिए था। समझौते (किसानों के साथ वार्ता के संदर्भ में) में राजनाथ सिंह का उपयोग क्यों नहीं किया गया? पीयूष गोयल किसानों का प्रतिनिधित्व करेंगे?

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