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एनजीटी का आदेश- देश के सभी नालों की मार्च 2020 तक हो 100 फीसदी सफाई

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सरकार को सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि 31 मार्च 2020 तक देश के नालों के पानी की 100 फीसदी सफाई जो और शोधन किए बगैर नदियों में पानी नहीं बहाया जाए। एनजीटी ने कहा...

एनजीटी का आदेश- देश के सभी नालों की मार्च 2020 तक हो 100 फीसदी सफाई
प्रमुख संवाददाता।,नई दिल्ली।Sat, 07 Dec 2019 06:29 AM
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सरकार को सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि 31 मार्च 2020 तक देश के नालों के पानी की 100 फीसदी सफाई जो और शोधन किए बगैर नदियों में पानी नहीं बहाया जाए। एनजीटी ने कहा कि देश मे जल प्रदूषण की स्थिति न सिर्फ चिंताजनक है बल्कि अब यह विकराल रूप ले लिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा है समय रहते सरकार और संबंधित प्राधिकरण को ठोस कदम उठाने होंगे। एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने इसके साथ ही यह चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो स्थानीय निकाय और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित विभागों को गंगा नदी के मामले में प्रति नाला पांच लाख रुपए प्रति महीने की क्षतिपूर्ति देनी होगी।

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साथ ही सीवेज शोधन संयंत्र स्थापित करने की शुरुआत करने में असफल रहने के लिए पांच लाख रुपये का भुगतान करना होगा। पीठ ने उसके निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत तंत्र तैयार करने का भी आदेश दिया है। पीठ ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को कार्य की प्रगति की निगरानी करने तथा राष्ट्रीय स्तर पर जल शक्ति मंत्रालय के सचिव द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहायता से निगरानी करने का आदेश दिया है। इनके लिए पीठ ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के साथ महीने में कम से कम एक बार बैठक (वीडियो कान्फ्रेंस का विकल्प खुला है) करने का आदेश दिया। साथ ही आगे की योजना बनाने को कहा है।

मरीना बीच पर झाग की खबरों का संज्ञान लिया
पीठ ने कहा कि मुख्य सचिव राज्य स्तर पर एक उचित निगरानी तंत्र स्थापित कर सकते हैं जिसमें नोडल प्राधिकारियों की जवाबदेही का उल्लेख होगा जो कि सचिव स्तर से नीचे का नहीं होना चाहिए। साथ ही दोषी अधिकारियों के वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में प्रतिकूल प्रविष्टि सुनिश्चित की जाए। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने चेन्नई के मरीना बीच पर बड़ी मात्रा में झाग जमा होने की खबरों पर संज्ञान लिया है और एक समिति को मामले पर रिपोर्ट देने को कहा है।

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एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), चेन्नई नगर निगम और तमिलनाडु राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधित्व वाली समिति को कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘संयुक्त समिति को मामले को देखे और अगले दिन ईमेल के जरिए कार्रवाई रिपोर्ट अद्यतन करें। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समन्वय और आज्ञापालन के लिए नोडल एजेंसी होगी।’ इस पीठ में न्यायमूर्ति एसपी वांगडी और विशेषज्ञ सदस्य एन नंदा भी शामिल थे। इस मामले पर एनजीटी 10 फरवरी 2020 को अगली सुनवाई करेगा।

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