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एम्स में बंदरों और कुत्तों के खतरे से निपटने को मेनका ने दिया ये सुझाव

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में लोगों पर बंदरों और कुत्तों के हमले की बढ़ती शिकायतों के बीच केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने सुझाव दिया है कि कुछ हिस्से को अलग से चिह्नित कर दिया जाए जहां...

एम्स में बंदरों और कुत्तों के खतरे से निपटने को मेनका ने दिया ये सुझाव
एजेंसी ,नई दिल्लीWed, 25 Apr 2018 04:11 PM
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में लोगों पर बंदरों और कुत्तों के हमले की बढ़ती शिकायतों के बीच केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने सुझाव दिया है कि कुछ हिस्से को अलग से चिह्नित कर दिया जाए जहां पर लोग खा पी सकें क्योंकि बची हुई खाद्य सामग्री फेंक देने की वजह से वहां बंदर और कुत्ते आ जाते हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस मुद्दे पर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन से सुझाव भी मांगे हैं। इस बारे में एम्स आरडीए के अध्यक्ष हरजीत सिंह भट्टी ने मेनका को एक पत्र लिखकर संस्थान परिसर में मरीजों और डॉक्टरों को कुत्तों और बंदरों से बचाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की थी। 

पत्र में भट्टी ने कहा कि अस्पताल परिसर में कुत्तों और बंदरों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है और वे अक्सर मरीजों पर हमला कर देते हैं। 

पत्र के जवाब में मेनका ने कहा कि यह जानकर वह परेशान हैं कि एम्स परिसर में कुत्तों और बंदरों की संख्या बढ़ गई है। साथ ही उन्होंने कुत्तों के बंध्याकरण और टीकाकरण के लिए गैर सरकारी संगठनों की मदद मुहैया कराने की भी पेशकश की।

बहरहाल, मेनका ने कहा कि बंदरों का बंध्याकरण और टीकाकरण नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे उनके व्यवहार पर कोई असर नहीं होगा। उल्टे, बंदर अधिक आक्रामक हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि एम्स में मूल समस्या खाद्य सामग्री का आसानी से उपलब्ध हो जाना है। अगर इसकी कड़ाई से निगरानी की जाए तो ये जानवर रातों-रात गायब हो जाएंगे। अन्यथा हम कुत्तों और बंदरों को भगा तो सकते हैं, लेकिन रात को उनके नए समूह आ जाएंगे। क्या यह संभव है कि आप खाद्य सामग्री को लेकर कुछ करें?

मेनका ने सुझाव दिया कि एम्स परिसर में कुछ हिस्सों को इस तरह अलग किया जाए, जहां पर लोग खा पी सकें। उन्होंने उन हिस्सों में कचरे के ढक्कन वाले डिब्बे लगाने का भी सुझाव दिया जहां बची हुई खाद्य सामग्री और रैपर आदि को डाला जा सके।

केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया कि लाउड स्पीकरों से लोगों को यह संदेश भी दिया जाना चाहिए कि पशुओं को खाने की चीजें देना और खाद्य सामग्री को परिसर में फेंकना खतरनाक हो सकता है। साथ ही मेनका ने लिखा है कि आपके परिसर में या मेरे ऑफिस में आपके साथ बैठक कर तथा आपकी मदद के लिए लोगों को कहकर मुझे खुशी होगी।

उन्होंने लिखा कि एम्स भारत के सर्वश्रेष्ठ और अत्यंत महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक है। इसे सुरक्षित बनाने के लिए कोई भी कदम उठा कर मुझे खुशी होगी।

आरडीए के पत्र में कहा गया है कि हाल में कई मरीजों पर जानवरों ने हमला किया और उनमें से कई को गंभीर चोट आ चुकी है। रोजाना तीन से चार लोग कुत्तों और बंदरों के हमले का शिकार हो रहे हैं। हर माह करीब 100 लोगों को पशु काटते हैं और फिर इन लोगों को आपात चिकित्सा विभाग से एंटी रेबीज टीके लगाए जाते हैं।

मेनका पिछले साल जून में जब एम्स में भर्ती हुई थीं तब भी डॉक्टरों ने उनसे परिसर में लोगों पर कुत्तों और बंदरों के हमलों के बारे में शिकायत की थी। 


 

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