Maratha Community s Reservation Protest in Mumbai Hunger Strike Continues मराठवाड़ा के मराठों को ‘कुनबी घोषित कर आरक्षण दे सरकार: जरांगे, Delhi Hindi News - Hindustan
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मराठवाड़ा के मराठों को ‘कुनबी घोषित कर आरक्षण दे सरकार: जरांगे

मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे ने मुंबई में बेमियादी अनशन शुरू किया है। वार्ता बेनतीजा रही और जरांगे ने सरकार से मराठों को कुनबी जाति घोषित करने...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 30 Aug 2025 08:59 PM
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मराठवाड़ा के मराठों को ‘कुनबी घोषित कर आरक्षण दे सरकार: जरांगे

मुंबई, एजेंसियां। मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार से बेमियादी अनशन कर रहे मनोज जरांगे और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधिमंडल के बीच शनिवार को मुंबई में हुई बातचीत बेनतीजा रही। उन्होंने दो दिन से चल रहे अपने अनशन को जारी रखने का संकल्प लिया। जरांगे ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि सरकार को मराठवाड़ा के सभी मराठों को कुनबी जाति घोषित करके उन्हें आरक्षण देना चाहिए। राज्य सरकार ने शुक्रवार को शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन में जरांगे से बातचीत के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजा था। मुंबई के आजाद मैदान में चल रहे इस विरोध में राज्यभर से हजारों मराठा समुदाय के लोग शामिल हुए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता जरांगे ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से कहा कि सरकार को मराठवाड़ा के सभी मराठों को कुनबी घोषित करके उन्हें आरक्षण देना चाहिए। इसके लिए हैदराबाद और सतारा राजपत्रों को कानून का स्वरूप दिया जाना चाहिए। जरांगे ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति ने बीते 13 माह तक इस मुद्दे से संबंधित राजपत्रों का अध्ययन किया। अब समय आ गया है कि समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे ताकि मराठों को कुनबी का दर्जा मिलने का रास्ता साफ हो। जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत कोटा की मांग कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए ताकि वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण पाने की पात्रता हासिल कर सकें। कुनबी पारंपरिक रूप से कृषि करने वाली जाति रही है, जो फिलहाल ओबीसी श्रेणी में शामिल है। इससे पहले, शुक्रवार को दिन में जरांगे ने चेतावनी देते हुए कहा था कि सरकार समुदाय के धैर्य की परीक्षा न ले। 43 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार यह गलत बात न फैलाए कि मराठा समुदाय ओबीसी कोटे से आरक्षण चाहता है। हम अपना आरक्षण चाहते हैं। यह सोचना सही नहीं कि 32 फीसदी ओबीसी कोटे में से 20 फीसदी कोटा मराठाओं के लिए आवंटित किया जाए। सच्चाई यह है कि हम सिर्फ इतनी मांग कर रहे हैं कि हमें कुनबी श्रेणी के तहत योग्यतानुसार हमारे हक का आरक्षण मिले। उन्होंने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन आरक्षण पाने के लिए समुदाय की अंतिम लड़ाई है। - न्यायाधीश शिंदे ने कहा, यह मेरा नहीं पिछड़ा वर्ग आयोग का काम मराठों को कुनबी घोषित करने की जरांगे की मांग के जवाब में सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे ने कहा कि उन्हें ऐसी रिपोर्ट देने का अधिकार नहीं है। शिंदे ने कहा कि यह पिछड़ा वर्ग आयोग का काम है। उन्होंने कहा, जाति प्रमाण पत्र व्यक्तियों को दिया जाता है, पूरे समुदाय को नहीं। शिंदे ने संवाददाताओं को बताया कि कैबिनेट ने हैदराबाद राजपत्र को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा, मैं जरांगे के साथ अपनी बातचीत का विवरण मंत्रिमंडल की उपसमिति के पास भेजूंगा। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे, मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने की पद्धति तय करने के लिए तत्कालीन एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा सितंबर 2023 में गठित समिति के अध्यक्ष हैं। समिति को पूर्ववर्ती हैदराबाद और बंबई प्रांत के अभिलेखों का अध्ययन करने के लिए कहा गया था, जहां मराठों का उल्लेख कभी-कभी कुनबी के रूप में किया गया है। समिति को शुरुआत में मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए गठित किया गया था, बाद में इसके दायरे में पूरे राज्य को शामिल कर लिया गया। -- फडणवीस की कड़ी आलोचना की: बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे को उनसे बातचीत के लिए भेजे जाने को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, मराठा और कुनबी को एक समान घोषित करने वाला सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी करना न्यायमूर्ति शिंदे का काम नहीं है। न्यायमूर्ति शिंदे को यहां भेजना सरकार, राजभवन और राज्य का अपमान है। -- सरकार मुद्दे को कानूनी व संवैधानिक ढांचे के भीतर सुलझाने के लिए काम कर रही: फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार मनोज जरांगे की मांगों को कानूनी और संवैधानिक ढांचे के भीतर पूरा करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले साल मराठा समुदाय को (सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत) दिया गया 10 प्रतिशत आरक्षण अब भी लागू है। फडणवीस ने कहा कि मराठा समुदाय को शिक्षा और रोजगार प्रदान करने के लिए सबसे अधिक फैसले 2014 और 2025 के बीच लिए गए (यह वह अवधि है जब अधिकतर समय भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें सत्ता में रही हैं)। - मराठा आरक्षण के लिए संविधान संशोधन करने में कोई हर्ज नहीं: राउत जरांगे की भूख हड़ताल के बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा कि शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समुदाय की मांगों को पूरा करने के लिए संविधान में संशोधन करने में कोई बुराई नहीं है। पत्रकारों से बात करते हुए राउत ने भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर राजनीतिक लाभ के लिए ओबीसी और मराठों के बीच दरार पैदा करने का आरोप लगाया। राउत ने आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने की मांग की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि आरक्षण का मुद्दा केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, तो भाजपा वहां भी सत्ता में है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गंभीर आपराधिक आरोपों में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की गिरफ्तारी के 30 दिन बाद उन्हें पद से हटाने के संबंध में तीन कानून लाकर संविधान में संशोधन कर सकती है, (तो) मराठा समुदाय की आर्थिक और सामाजिक मांगों को पूरा करने के लिए संविधान में संशोधन करने में क्या समस्या है। सरकार को मुंबई में जुटे प्रदर्शनकारियों को सहानुभूति की दृष्टि से देखना चाहिए। इस बीच, मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने आरक्षण आंदोलन से जुड़े सवालों को यह कहकर टाल दिया कि इन सवालों के जवाब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास हैं। -- जरांगे के खिलाफ शिकायत वकील गुणवंत सदावर्त ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के खिलाफ एक ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि जरांगे ने आजाद मैदान में अपनी रैली के दौरान राज्य सरकार की शर्तों का उल्लंघन किया है। सदावर्त के अनुसार, राज्य सरकार ने जरांगे को आजाद मैदान में एक दिन के लिए सुबह नौ से लेकर शाम छह बजे तक अधिकतम 5,000 समर्थकों के साथ रैली करने की अनुमति दी थी, लेकिन रैली में इस सीमा का उल्लंघन हुआ है। हालांकि, देर शाम पुलिस ने आजाद मैदान में चल रहे आंदोलन की अनुमति एक और दिन के लिए बढ़ा दी है। - मुंबई पुलिस ने कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कीं: मुंबई पुलिस ने शहर में मराठा आरक्षण आंदोलन के मद्देनजर अपने सभी कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि मुंबई पुलिस ने स्थिति को देखते हुए किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए 2,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया है।

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