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‘मुफ्त सुविधाएं देने से पहले आर्थिक प्रभाव का आकलन जरूरी

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने कहा है कि मुफ्त सुविधाएं...

‘मुफ्त सुविधाएं देने से पहले आर्थिक प्रभाव का आकलन जरूरी
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 09 Aug 2022 07:20 PM
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नई दिल्ली, एजेंसी।

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने कहा है कि मुफ्त सुविधाएं देने से पहले आर्थिक प्रभाव का आकलन किया जाना जरूरी है। याचिकाकर्ता ने अदालत से विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का अनुरोध किया, जो बिना पर्याप्त बजटीय प्रावधानों के इस तरह की सुविधाएं दिए जाने की जांच करे।

वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में मुफ्त सुविधाएं देने के लिए राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील विजय हंसारिया ने अदालत से कहा है कि देश के दो सर्वोच्च आर्थिक निकायों ने उचित वित्तीय और बजटीय प्रबंधन के बिना राज्यों द्वारा मुफ्त सुविधाएं दिए जाने से पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है।

याचिकाकर्ता ने राज्यों के सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में ऋण कम करने के लिए एक व्यापक नीति तैयार करने का भी अनुरोध किया है। साथ ही राज्यों के वित्त से जुड़े संकेतों की निगरानी के लिए संस्थागत तंत्र विकसित करने का भी सुझाव दिया गया है, जो वित्तीय स्थिति के गंभीर रूप से प्रभावित होने की सूरत में पहले ही आगाह कर सके।

शीर्ष अदालत ने 3 अगस्त को केंद्र, नीति आयोग, वित्त आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक सहित सभी हितधारकों से चुनावों के दौरान मुफ्त में दिए जाने वाले उपहारों के मुद्दे पर विचार करने और इससे निपटने के लिए रचनात्मक सुझाव देने को कहा था।

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