रुपये का दो साल बाद सबसे लंबा गोता
भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 85.81 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। यह फरवरी 2023 के बाद से एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। रुपये में लगातार गिरावट के कारण विदेशी पूंजी की निकासी और व्यापार...

नई दिल्ली, एजेंसी। डॉलर की मजबूत मांग के बीच शुक्रवार को भारतीय रुपया नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। एक डॉलर के मुकाबले 85.81 रुपया पर पहुंच गया। यह फरवरी 2023 के बाद से एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। डॉलर के मुकाबले 85 रुपये का दायरा पहली बार 19 दिसंबर को पार हुआ था। घरेलू मुद्रा में लगातार नौवें सत्र में गिरावट जारी रही और इस साल अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसमें 3% की गिरावट आ चुकी है। रुपया लगातार सातवें साल वार्षिक घाटा दर्ज करने वाला है। छह मुद्राओं के समूह के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 108.1 से ऊपर कारोबार कर रहा था, जबकि 10 साल के बॉन्ड पर यू.एस. ट्रेजरी यील्ड में उछाल के कारण 4.50% के आसपास कारोबार हो रहा था। अन्य एशियाई मुद्राओं में 0.1% से 1% तक की गिरावट आई।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने अब तक डॉलर में 2% से अधिक की वृद्धि हुई है और यह लगातार तीसरे महीने बढ़ने की ओर अग्रसर है। डॉलर में व्यापक मजबूती, व्यापार घाटे में वृद्धि की चिंता और धीमी स्थानीय वृद्धि ने रुपये पर दबाव डाला है। जानकारों ने बताया कि महीने के अंत और साल के अंत में भुगतान दायित्वों के लिए आयातकों की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग के बीच डॉलर की मजबूती के कारण स्थानीय इकाई पर दबाव पड़ा। हालांकि, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और घरेलू इक्विटी बाजारों से सकारात्मक संकेतों ने भारतीय इकाई में गिरावट को सीमित कर दिया।
इस गिरावट का अर्थ
रुपये का टूटना अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का संकेत है। विदेशी पूंजी की अधिक निकासी के कारण यह स्थिति बनी है। रुपये के कमजोर होने के कारण भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दबाव में है।
86 रुपये से भी नीचे जाने के आसार
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 86 से भी नीचे जाने के आसार हैं। मार्च के अंत तक इसके इस स्तर तक गिरने की आशंका जताई जा रही है।
शेयर बाजार पर असर
डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। इसका फार्मा कंपनियों को फायदा हो सकता है क्योंकि इनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा निर्यात से आता है। रुपया कमजोर होने से इन्हें जो डॉलर में जो आय हासिल होगी, वह रुपये के परिवर्तित करने पर अधिक हो जाएगी।
मुश्किल होगा वर्ष 2025
अगले साल वर्ष 2025 में वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताएं बढ़ने की संभावना है, खासकर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उच्च शुल्क लगाए जाने की खबरों के चलते। ऐसे हालात में भारतीय रुपये पर दबाव बना हुआ है और यह स्थिति सभी विकासशील देशों की मुद्राओं के लिए भी चुनौतीपूर्ण बन सकती है। फिलहाल बाकी विकासशील देशों की तुलना में रुपया मजबूत ही दिख रहा है क्योंकि वित्त वर्ष में नवंबर के आखिरी तक रुपया एक दायरे में ही रहा और जी20 देशों की मुद्रा के मुकाबले इसमें कम उतार-चढ़ाव दिखा।
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