सौ अमृत भारत ट्रेन 13 करोड़ यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाएंगी
रेलवे इस साल 100 अमृत भारत ट्रेनें शुरू करने जा रहा है, जो व्यस्त मार्गों पर चलेगी। इन ट्रेनों में जनरल और शयनयान श्रेणी के डिब्बे होंगे, और हर ट्रेन में लगभग 3600 यात्री सफर कर सकेंगे। इससे सालाना 13...

अरविंद सिंह नई दिल्ली। रेलवे इस साल व्यस्त मार्गों पर सौ अमृत भारत ट्रेन चलाने जा रही है। इससे सालाना 13 करोड़ से अधिक यात्रियों को समय से उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा सकेगा। अमृत भारत ट्रेन में केवल जनरल और शयनयान श्रेणी के डिब्बे होंगे। प्रत्येक ट्रेन में लगभग 24 डिब्बे होंगे।
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आम बजट 2025-26 में रेलवे को 2,52,000 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। बजट में बुनियादी ढांचे को गति देने के साथ-साथ आम रेल यात्रियों के लिए 100 अमृत भारत ट्रेन चलाने का प्रस्ताव है। अधिकारी ने बताया कि इसके लिए 2400 जनरल-स्लीपर कोच का निर्माण किया जाएगा। रेलवे ने इस मद में 21,600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। उन्होंने बताया कि ट्रेन में अमूमन 13-14 स्लीपर और लगभग 10 सामान्य डिब्बे होंगे। इस लिहाज से एक ट्रेन में लगभग 3600 लोग सफर कर सकेंगे। 24 कोच वाली 100 अमृत भारत ट्रेन के चलने से प्रतिदिन 3,60,000 यात्री सफर कर सकेंगे। यानी सालाना 13 करोड़ से अधिक यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।
रेलवे में यात्री क्षमता विस्तार से आम जनता को फायदा होगा। अमृत भारत ट्रेन में एसएलआर कोच में गार्ड, लगेज एवं दिव्यांगों के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। इन ट्रेनों में पेंट्रीकार भी होगी, जिससे यात्रियों को ताजा भोजन मिल सकेगा।
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दिल्ली से भीड़-भाड़ वाले मार्गों पर चलेंगी
अमृत भारत ट्रेन दिल्ली-बिहार, दिल्ली-उड़ीसा, दिल्ली-यूपी, पश्चिम बंगाल-तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र-यूपी, बिहार के बड़े व औद्योगिक शहरों के बीच चलाई जाएंगी। जनरल-स्लीपर वाली इन ट्रेन को कामगारों, मजदूरों, श्रमिकों को ध्यान में रखकर चलाया जाएगा।
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राजधानी-शताब्दी जैसी रफ्तार होगी
पुल-पुश तकनीक से लैस केसरिया रंग की अमृत भारत ट्रेन 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम हैं। यानी आम जनता की ट्रेन राजधानी-शताब्दी, वंदे भारत जैसी मेल-एक्सप्रेस ट्रेन की तरह तेज रफ्तार से दौड़ेगी। हालांकि, किराया राजधानी-शताब्दी से कम होगा। ट्रेन में जनरल श्रेणी के कोच की सीट में में भी गद्दे लगे हैं। पुल-पुश तकनीक में ट्रेन के आगे-पीछे दो इंजन होंगे। इससे उनकी औसत रफ्तार अधिक होती है।
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