एफटीए पैकेज::ताजे फल, प्राकृतिक शहद जैसे उत्पादों के लिए मिलेगा बाजार
भारत और यूके के बीच कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य क्षेत्र में समझौता हुआ है, जिससे भारतीय कृषि शुल्क लाइनों पर शून्य सीमा शुल्क लागू होगा। इससे अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 50% से अधिक वृद्धि की...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य क्षेत्र के लिहाज यह समझौता काफी अहम साबित होगा। इससे कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के लिए नया बाजार उपलब्ध होगा। समझौते के तहत 95 फीसदी से अधिक भारतीय कृषि शुल्क लाइनों को यूके बाजार में शून्य सीमा शुल्क लगेगा, जिससे भारत के कृषि निर्यात में अगले तीन वर्षों में 50 फीसदी से अधिक वृद्धि की उम्मीद है। किसानों के लिहाज से कई मायने में समझौता अहम साबित होगा। समझौते के तहत भारतीय किसानों को यूके बाजार में प्रीमियम मूल्य दिलाने में मदद करेगा। अब भारत को यूके के बाजार में जर्मनी और नीदरलैंड जैसे ईयू देशों के बराबरी का दर्जा मिलेगा, जिन्हें पहले से शून्य शुल्क की सुविधा मिलती रही है।
उधर भारत के संवेदनशील कृषि उत्पादों को समझौते से बाहर रखकर संरक्षमण दिया गया है। एल्कोहल और बेवरेज क्षेत्र में बढ़ेगा कारोबार वर्ष 2024 में भारत ने इस क्षेत्र में 1.1 अरब डॉलर का आयात और 369 मिलियन डॉलर का निर्यात किया। अब समझौते के तहत यूके से व्हिस्की के लिए शुल्क रियायत दी गई है, लेकिन इसका भारतीय निर्माताओं पर नकारात्मक असर नहीं होगा क्योंकि इसका उपयोग ब्लेंडेड व्हिस्की के निर्माण में होता है। इससे भारत से ब्लेंडेड व्हिस्की के निर्यात में बढ़ोतरी की संभावना है, जिसमें बीते वर्ष की तुलना में 34 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इस उत्पादों को मिलेगा लाभ - ताजे फल, विशेष रूप से अंगूर - बेकरी उत्पाद जैसे ब्रेड, पेस्ट्री, केक आदि - प्याज और मिश्रित सब्जियां - प्राकृतिक शहद - संरक्षित सब्जियां, फल, और मेवे - प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ - सॉसेज और रेडीमेड सॉस रियायतों से बाहर रखे गए उत्पाद - डेयरी क्षेत्र: दूध, घी, मक्खन, पनीर आदि वाले टैरिफ अध्याय-4 को पूरी तरह से बहिष्करण सूची में रखा गया है। -अनाज: गेहूं, चावल, मक्का, मोटा अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी आदि को कोई रियायत नहीं दी गई है। - फल: सेब, अनानास, संतरे, अनार जैसे उत्पाद बाहरी सूची में रखे गए हैं।
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