
ब्यूरो----भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय वार्ता आज, 10 समझौतों पर सहमति के आसार
संक्षेप: --वार्ता में सिंगापुर के छह और भारत के चार मंत्री हिस्सा लेंगे --उन्नत प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। भारत और सिंगापुर के बीच कारोबार समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए बुधवार को मंत्रिस्तरीय गोलमेल सम्मेलन (आईएसएमआर) आयोजित किया जा रहा है। इसमें दस समझौतों पर सहमति के आसार हैं। सम्मेलन के लिए सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री समेत छह मंत्री भारत की यात्रा पर आए हुए हैं। भारत की तरफ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्री आश्विनी वैष्णव शिरकत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि आईएसएमआर का तीसरा दौर 13 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।

इसमें भाग लेने के लिए सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री, व्यापार एवं उद्योग मंत्री गान किम योंग, राष्ट्रीय सुरक्षा समन्वय मंत्री एवं गृह मंत्री के. षणमुगम, विदेश मंत्री डॉ. विवियन बालकृष्णन, डिजिटल विकास एवं सूचना मंत्री जोसेफिन टीओ, जनशक्ति मंत्री डॉ. टैन सी लेंग और कार्यवाहक परिवहन मंत्री जेफरी सिओ भारत आए हैं। मंत्रालय ने कहा कि आईएसएमआर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित भारत-सिंगापुर सहयोग के लिए एक नया एजेंडा निर्धारित करने का एक अनूठा तंत्र है। इसकी पहली बैठक 2022 में दिल्ली में तथा दूसरी 2024 में सिंगापुर में हुई थी। भारत और सिंगापुर एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी रखते हैं। आईएसएमआर का तीसरा दौर हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और व्यापक एवं गहन बनाने के अवसरों की पहचान करेगा। इन क्षेत्रों में बन सकती है सहमति सूत्रों ने बताया कि इस बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, उन्नत प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी, कौशल विकास और डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में करीब 10 समझौतों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। इनमें प्रमुख रूप से भारत से सिंगापुर तक सौर ऊर्जा पहुंचाने के लिए समुद्र के नीचे केबल बिछाने (जो डेटा कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगी) तथा भारत से सिंगापुर को ग्रीन अमोनिया और ग्रीन हाइड्रोजन के निर्यात का प्रस्ताव शामिल है। इसके अलावा एक लाख भारतीयों का कौशल विकास, विमानन, सेमीकंडक्टर क्षेत्रों को लेकर भी समझौते हो सकते हैं। निवेश बढ़ाने पर जोर सम्मेलन में वाशिंगटन की शुल्क (टैरिफ) नीति के प्रभाव और उससे निपटने के तरीकों पर भी चर्चा हो सकती है। साथ ही निवेश बढ़ाने के उपायों पर चर्चा होगी। सिंगापुर भारत में सबसे बड़ा निवेशक है। सिंगापुर, आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन) में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

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