दवाओं और चिकित्सा उत्पादों को लेकर कड़े कानून की तैयारी
संक्षेप: केंद्र सरकार दवाओं और चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता के लिए नया कानून तैयार कर रही है। यह मसौदा ‘ड्रग्स, मेडिकल डिवाइस और कॉस्मेटिक्स एक्ट 2025’ संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। नए...

नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार दवाओं और चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण से जुड़े नियमों को सख्त बनाने के लिए नया कानून तैयार कर रही। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ. राजीव रघुवंशी ने स्वास्थ्य मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय बैठक में मंगलवार को इसका मसौदा पेश किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान डीसीजीआई और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रस्तावित कानून की रूपरेखा पेश की। पेश किया गया मसौदा ‘ड्रग्स, मेडिकल डिवाइसेस एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 2025 संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। नया कानून 1940 के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की जगह लेगा और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है।
इसका उद्देश्य दवा निर्माण से लेकर बाजार में वितरण तक में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। नए कानून से दवाओं की गुणवत्ता जांच, बाजार निगरानी, और चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के विनियमन से जुड़े कानूनी ढांचे को मजबूत करना है। निगरानी तंत्र होगा मजबूत यह उच्च स्तरीय बैठक ऐसे समय हुई है जब मध्य प्रदेश में खांसी की दवा से कई बच्चों की मौत हो गई है। सूत्रों के अनुसार कानून को मंजूरी मिलने के बाद नया विधेयक सीडीएससीओ को वैधानिक अधिकार देगा जिससे वह देश में घरेलू और निर्यात दोनों के लिए निर्मित दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों की गुणवत्ता की सख्त जांच और निगरानी सुनिश्चित कर सके। कानूनी कार्रवाई का अधिकार नए कानून के तहत सीडीएससओ को पहली बार यह अधिकार मिलेगा कि वह नकली या घटिया दवाओं के खिलाफ तुरंत कार्रवाई कर सके। इसमें लाइसेंस प्रक्रिया के डिजिटलीकरण, राज्य स्तरीय नियामकों के बीच बेहतर समन्वय और परीक्षण प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाने के प्रावधान भी शामिल होंगे। सूत्रों ने बताया कि बीते दो वर्षों में 40 से अधिक दवा निर्माण इकाइयों पर कार्रवाई की गई है।

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