एलएसी पर डटे सैनिकों की इस सर्दी में भी वापसी के आसार नहीं
भारत की सेना सर्दियों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 50,000 सैनिकों के साथ तैनात रहेगी। टकराव खत्म होने के बावजूद सेना की वापसी की कोई संभावना नहीं है। तापमान शून्य से 30 डिग्री नीचे जा सकता...

- सेना के सर्दी में वहां तैनाती के पूरे इंतजाम कर दिए गए हैं 50 हजार सैनिक तैनात हैं एलएसी के विभिन्न हिस्सों पर
30 डिग्री तक शून्य से नीचे चला जाता है एलएसी पर पारा सर्दियों में
मदन जैड़ा
नई दिल्ली। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टकराव खत्म होने के बावजूद भारत की सेनाएं इस सर्दी में भी वहीं डटी रहेंगी। सेना के सूत्रों ने कहा कि फिलहाल वहां से सेना की वापसी की संभावना नहीं है। सर्दी में सेना के वहां डटे रहने के पूरे इंतजाम कर दिए गए हैं।
पिछले दिनों दीवाली के मौके पर डेमचोक और डेपसांग से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी थीं। दोनों देशों के बीच हुए एक समझौते के बाद यह कदम उठाया गया था। मई 2020 में टकराव वाले सात में से ये शेष दो स्थान थे, जहां सेनाएं आमने-सामने थी। अब सभी सातों स्थानों पर आमने-सामने टकराव की स्थिति खत्म हो गई है।
सैन्य सूत्रों ने कहा कि एलएसी पर भारत के 50 हजार सैनिक अभी भी मौजूद हैं। ये मई 2020 में चीन के साथ टकराव उत्पन्न होने के बाद वहां तैनात किए गए थे। इनकी वापसी अभी नहीं होगी। कम से कम इस सर्दी में ये सैनिक वहीं रहेंगे। इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां कर दी गई हैं। मालूम हो कि एलएएसी पर सर्दियों में तापमान शून्य से 30 डिग्री तक नीचे चल जाते हैं। सेना की तैनाती पर वहां भारी खर्च आता है। सर्दियों में सेना की वहां तैनाती जारी रहने का यह पांचवां साल है।
सेना के सूत्रों ने कहा कि डेमचोक और डेपसांग को लेकर दोनों देशों के बीच हुए समझौते का क्रियान्वयन जमीन पर हो गया है। इन दोनों स्थानों पर मई 2020 से पहले की भांति गश्त भी शुरू हो चुकी है। लेकिन अन्य शेष पांच स्थानों पैंगौंग लेक उत्तर और दक्षिण, हॉट स्प्रिंग, गोगरा और गलवान इलाकों में अभी गश्त शुरू होने पर निर्णय होना बाकी है।
सूत्रों ने कहा कि एलएसी पर तैनात अतिरिक्त सेना की वापसी को लेकर दोनों देशों के बीच अलग से बातचीत होनी है। पारस्परिक सहमति के आधार पर ही दोनों देश चरणबद्ध तरीके से अपनी सेनाओं को वापस भेजेंगे। यह अनुमान है कि चीन के भी करीब 50 हजार सैनिक एलएसी के निकट तैनात हैं। सेना के सूत्रों ने कहा कि एलएसी से जुड़े शेष मुद्दों को लेकर जल्द दोनों देशों के बीच बातचीत की प्रक्रिया शुरू होगी। यह वार्ता कई स्तरों पर होगी, जिसमें शीर्ष सैन्य कमांडर स्तर, एनएसए और विदेश सचिव स्तरीय शामिल हैं।
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