Increase in Crimes Against Women in India JIH Expresses Concern on International Women s Day महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में वृद्धि चिंताजनक: जेआईएच , Delhi Hindi News - Hindustan
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महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में वृद्धि चिंताजनक: जेआईएच

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता जमाअत-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) की राष्ट्रीय सचिव रहमतुन्निसा ने अंतर्राष्ट्रीय

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 8 March 2025 04:06 PM
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महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में वृद्धि चिंताजनक: जेआईएच

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता जमाअत-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) की राष्ट्रीय सचिव रहमतुन्निसा ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भयावह वृद्धि पर गहरी चिंता व्यक्त की है।

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 में प्रति 100,000 महिलाओं के खिलाफ अपराध के 51 मामले सामने आएं। इससे भी अधिक चिन्ताजनक तथ्य यह है कि देश में हर 16 मिनट में बलात्कार की एक घटना घटती है। महिलाओं के विरुद्ध अपराध मामलों में दोषसिद्धि दर पर एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि बलात्कार, सामूहिक बलात्कार के उपरांत हत्या मामलों में दोष साबित होने का दर 69.4 फीसद है, बलात्कार के मामलों में यह दर मात्र 27.4 फीसदी है तथा यौन हिंसा के अन्य रूपों में तो यह दर और भी कम है। ऐसे आंकड़े न्याय देने और निवारण सुनिश्चित करने में गंभीर विफलता का संकेत देते हैं। कोलकाता के आर.जी.कर मेडिकल अस्पताल में चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की हालिया घटनाएं तथा पुणे में राज्य परिवहन बस स्टैंड पर खड़ी बस में एक महिला के साथ बलात्कार की घटनाएं महिलाओं के लिए सुरक्षा-तंत्र में चूक को दर्शाती हैं। केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे की किशोर बेटी के साथ छेड़छाड़ की घटना दर्शाती है कि जब हमारे देश में वीआईपी लोग सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की दुर्दशा की केवल कल्पना ही की जा सकती है। संकट के नैतिक पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहीं कि छेड़छाड़ और उत्पीड़न के हजारों अप्रकाशित मामले समाज में गहरे नैतिक पतन को उजागर करते हैं। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का मानना है कि वास्तविक सशक्तिकरण महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और समाज में उचित स्थान सुनिश्चित करने में निहित है। कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए, लेकिन इससे बढ़कर समाज में सुधार भी आवश्यक है।

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