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आईआईटी दिल्ली ने इंप्लांट से जुड़े संक्रमणों को रोकने का तरीका खोजा

नई दिल्ली। वरिष्ठ संवाददाता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के अनुसंधान दल ने इंप्लांट...

आईआईटी दिल्ली ने इंप्लांट से जुड़े संक्रमणों को रोकने का तरीका खोजा
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 27 Jan 2021 08:10 PM
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नई दिल्ली। वरिष्ठ संवाददाता

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के अनुसंधान दल ने इंप्लांट (प्रत्यारोपण) से जुड़े संक्रमणों को रोकने का तरीका खोजने में सफलता पाई है। अनुसंधान दल ने इंप्लांट से जुड़े संक्रमण को रोकने के लिए किए अध्ययन के बाद यह सफलता पाई है। अध्ययन में संक्रमण को रोकने के लिए गैर-रिसाव योग्य रोगाणुरोधी कोटिंग का प्रस्ताव दिया है। प्रत्यारोपण से संबंधित संक्रमण के खतरे से निपटने के लिए आईआईटी दिल्ली के इस उपाय व अध्ययन को एक अत्यधिक प्रतिष्ठित जरनल 'मेटिरियल सांइस और इंजीनियरिंग सी' में प्रकाशित किया गया है।

आईआईटी दिल्ली के मटेरियल सांइस व इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर संपा साहा के नेतृत्व में अनुसंधान समूह द्वारा इंफेक्शन रोकने के लिए एक अध्ययन किया गया है। अनुसंधान दल के सदस्यों में शैफाली, प्रो. नीतू सिंह और अक्षय जोशी शामिल हैं। प्रोफेसर संपा साहा ने बताया कि इंप्लांट से जुड़े संक्रमणों को रोकने के लिए किसी निष्कर्ष में पहुंचने से पहले आईआईटी की रिसर्च टीम ने एक बायोडिग्रेडेबल 3 डी प्रिंटेड पॉलीमेरिक इम्प्लांट बनाया। यह एंटी इनफेक्टिव पॉलीमर ब्रश के साथ मॉडिफाइड किया गया है। उन्होंने बताया कि यह पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल पॉलीस्टरों का मिश्रण है। यह एक प्रकार के एसिड का पॉलिएस्टर है। एक ऐसा प्राकृतिक एसिड जो टमाटर, अंगूर और कच्चे आम और पॉलीएलेक्टिक एसिड में पाया जाता है।

क्या होता है इंप्लांट

किसी बीमारी के स्थिति में शरीर में प्रत्यारोपित चिकित्सा उपकरण, जिसमें पेसमेकर, इंट्रा-ऑक्यूलर लेंस, हार्ट वाल्व, कूल्हे शामिल हैं, इंप्लांट कहलाते हैं। दरअसल सर्जरी से शरीर के अंदर इंप्लांट लगाए जाते हैं। लंबे समय तक उनका इस्तेमाल होता है।

क्या है इंप्लांट संक्रमण

इंप्लांट चिकित्सा उपकरण में कई बार संक्रमण के मामले सामने आते हैं। इस वजह से दुनियाभर में रोगियों की मृत्यु होती है। तो वहीं बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ता है। अभी तक प्रभावी व्यवस्था के तहत इंप्लांट से जुड़े संक्रमणों की समस्या को कम करने के लिए उच्च खुराक वाली एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन एंटीबायोटिक के निरंतर इस्तेमाल से यह अप्रभावी हो जाते हैं।

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