खेल : हंपी और दिव्या में आज से शुरू होगी विश्व चैंपियन बनने की जंग
शतरंज विश्व कप नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। शह और मात के खेल में भारतीय

शतरंज विश्व कप नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। शह और मात के खेल में भारतीय शतरंज के इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ जाएगा। देश को रविवार को पहली महिला शतरंज चैंपियन मिल जाएंगी। जॉर्जिया के बातुमी में दो पीढ़ियों की खिलाड़ियों 38 साल की कोनेरू हंपी और 19 साल की दिव्या देशमुख में से जीते कोई भी ताज तो भारत के सिर ही सजेगा। फिडे महिला विश्व कप फाइनल के इतिहास का यह पहला मौका होगा जब दो भारतीय फाइनल में एक-दूसरे को मात देने उतरेंगी। दो क्लासिकल गेम होंगे : शनिवार से शुरू होने वाला फाइनल दो क्लासिकल गेम में खेला जाएगा।
पहले दिन एक बाजी होगी। दूसरी रविवार को होगी। अगर परिणाम 1-1 से बराबर रहता है तो विजेता का फैसला करने के लिए कम समय के गेम खेले जाएंगे। दोनों भारतीय खिलाड़ियों ने टूर्नामेंट में अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर खिताबी मुकाबले तक का सफर तय किया है। बड़े मुकाबलों में खेलने के अपने अनुभव के आधार पर हंपी प्रबल दावेदार के रूप में उतरेंगी। पर बड़े-बड़े धुरंधरों को अपनी चाल से चकमा देने वाली दिव्या उलटफेर में माहिर हैं। हंपी ने पिछले साल विश्व महिला रैपिड टूर्नामेंट जीता था। हाल में महिला ग्रां प्री में भी संयुक्त रूप से शीर्ष पर रहीं थी। उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। पिछले कई वर्षों में उनका जज्बा और दृढ़ संकल्प जरा भी कम नहीं हुआ है। वहीं दिव्या ने पिछले साल ओलंपियाड में व्यक्तिगत के साथ ही टीम स्पर्धा में भी ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता था। ------------ विजेत को मिलेंगे 42 लाख विजेता को ट्रॉफी के साथ करीब 42.26 लाख रुपये और उपविजेता को 30.28 लाख रुपये का नकद पुरस्कार भी मिलेगा। कैंडिडेट्स टूर्नामेंट खेलेंगी दोनों भारतीयों ने अगले महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालिफाई किया है। आठ खिलाड़ियों के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट से अगले विश्व महिला चैंपियनशिप मैच में मौजूदा विश्व चैंपियन चीन की वेनजुन जू के प्रतिद्वंदी का फैसला होगा। -------------- दिव्या के पैदा होने से तीन साल पहले ग्रैंड मास्टर बन गई थीं हंपी आंध्र प्रदेश की कोनेरू हंपी 2002 में जब देश की पहली और दुनिया की आठवीं महिला ग्रैंडमास्टर बनीं थी तब नागपुर की दिव्या देशमुख पैदा भी नहीं हुई थीं। उन्होंने 2004 में पहली बार विश्व चैंपियनशिप में शिरकत की थी। वहीं 2005 में जब दिव्या पैदा हुई तक तक हंपी कई खिताब जीत चुकी थीं। अब वह शनिवार को विश्व चैंपियन बनने के लिए हंपी के ही सामने होंगी। यह मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। --------------------- ::: कोटस ::: 'शतरंज प्रेमियों के लिए यह सबसे खुशी के पलों में से एक है। अब खिताब निश्चित रूप से भारत के पास जाएगा। लेकिन निश्चित रूप से एक खिलाड़ी के रूप में कल का मैच भी काफी कठिन होगा। दिव्या ने इस पूरे टूर्नामेंट में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।' -कोनेरू हंपी ------------------ हंपी का सफर प्री-क्वार्टर फाइनल में पूर्व विश्व चैंपियन स्विट्जरलैंड की एलेक्जेंड्रा कोस्टेनियुक को टाईब्रेकर में मात दी। इसके बाद उन्होंने युक्सिन सोंग पराजित किया। उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सेमीफाइनल में किया। इसमें उन्होंने चीन की शीर्ष वरीयता प्राप्त टिंगजेई लेई को पांच मिनट में हरा दिया जब दोनों खिलाड़ी 3-3 की बराबरी पर थीं। दिव्या के तीन उलटफेर दिव्या शीर्ष 10 में शुमार तीन खिलाड़ियों को उलटफेर का शिकार बनाकर यहां तक पहुंची हैं। उनका पहला शिकार चीन की दूसरी वरीयता प्राप्त जिनर झू को बनाया। फिर क्वार्टर फाइनल में हमवतन डी हरिका को टाईब्रेकर में मात दी। सेमीफाइनल में चीन की पूर्व विश्व चैंपियन झोंगयी टैन को हराया। ----------------- ----------------- फाइनल का पारूप - प्रत्येक खिलाड़ी को पहली 40 चाल के लिए 90 मिनट मिलेंगे। शेष खेल के लिए 30 मिनट का समय होगा - प्रत्येक चाल में 30 सेकंड बढ़ाए जाएंगे जो पहली चाल से जोड़े जाएंगे टाईब्रेकर हुआ तो 10 मिनट के दो रैपिड गेम, फिर प्लस 10 सेकंड और जोड़े जाएंगे -अगर भी टाई रहा तो पांच मिनट के दो ओर गेम और प्लस तीन सेकंड जोड़ेगे -फिर बराबरी होने पर तीन मिनट के दो ब्लिट्ज गेम, प्लस दो सेकंड जोड़े जाएंगे -यदि आवश्यक हुआ तो 3 2 ब्लिट्ज गेम विजेता का फैसला होने तक चलेंगे
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