अपडेट 1 ... हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में सेबी प्रमुख पर गंभीर आरोप
शब्द : 511 नई दिल्ली, एजेंसी अमेरिकी शॉर्ट-सेलर रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने शनिवार को अपनी
शब्द : 511 नई दिल्ली, एजेंसी
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने शनिवार को अपनी नई रिपोर्ट में बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधवी बुच पर गंभीर आरोप लगाए। कंपनी ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अडाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हालांकि, सेबी की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इससे पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने सुबह सोशल मीडिया मंच एक्स पर ऐलान किया था कि भारत में कुछ बड़ा होने वाला है।
हिंडनबर्ग ने अडाणी समूह पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 माह बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया, सेबी ने अडाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई। दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। जिसमें गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने काफी मात्रा में पैसा लगाया गया था। विनोद, अडाणी समूह की कंपनियों के चेयरमैन हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में कहा कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्ण सदस्य होने के साथ चेयरपर्सन भी थीं। उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था। 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए।
बता दें कि बीते वर्ष हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें शेयरों के दामों में हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट के बाद समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें तेजी लौट आई थी। इस रिपोर्ट को लेकर भारतीय शेयर बाजार रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने हिंडनबर्ग को 46 पेज का कारण बताओ नोटिस भी भेजा था।
एक जुलाई, 2024 को अपने एक ब्लॉग पोस्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि नोटिस में बताया गया है कि उसने नियमों का उल्लंघन किया है। कंपनी ने कहा, सेबी ने आरोप लगाया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में गुमराह करने के लिए कुछ गलत बयान शामिल किए गए हैं। इसका जवाब देते हुए हिंडनबर्ग ने सेबी पर ही कई तरह के आरोप लगाए थे।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला :
बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। उच्चतम न्यायालय ने सेबी की रिपोर्ट को सही बताते हुए अडाणी समूह को राहत दी थी। कोर्ट ने कहा था कि वह नियामकीय व्यवस्था के दायरे में नहीं आ सकता और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट या ऐसी कोई भी चीज अलग से जांच के आदेश का आधार नहीं बन सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह साबित करने का कोई आधार नहीं है कि सेबी ने कदम उठाने में ढिलाई बरती। शीर्ष अदालत ने अडाणी समूह की ओर से शेयर के दामों में हेरफेर के आरोपों की जांच एसआईटी या सीबीआई से कराने की मांग खारिज कर दी थी।
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