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हिरासत में मौत: कानून को अपने हाथों में न लें पुलिस- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि पुलिसकर्मियों से अपेक्षा की जाती है कि वे कानून व्यवस्था बनाए रखे और इसे अपने हाथों में न ले। हाईकोर्ट ने 22 साले पहले हिरासत में हुई मौत के मामले में छह...

हिरासत में मौत: कानून को अपने हाथों में न लें पुलिस- हाईकोर्ट
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 14 Dec 2017 11:54 PM
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हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि पुलिसकर्मियों से अपेक्षा की जाती है कि वे कानून व्यवस्था बनाए रखे और इसे अपने हाथों में न ले। हाईकोर्ट ने 22 साले पहले हिरासत में हुई मौत के मामले में छह पुलिसकर्मियों की सजा कम करते हुए यह टिप्पणी की है। निचली अदालत ने इस मामले में पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

जस्टिस एस. मुरालीधर और आई.एस. मेहता की पीठ ने हिरासत में हुई मौत के इस मामले में को गैर इरादतन हत्या माना है। हाईकोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों की निचली अदालत से मिली उम्रकैद की सजा को कम करते हुए 8 साल कैद की सजा में तब्दील कर दिया है। पीठ ने कहा है कि पुलिसकर्मियों से उम्मीद की जाती है कि वे कानून के दायरे में जिम्मेदारी से लोगों की सुरक्षा व स्तवतंत्रता को बनाए रखने के मकसद से काम करे। हाईकोर्ट ने अविनाश कुमार, कुलदीप सिंह, एस. पाल, सुशील कुमार, रमेश चंद और छोटे लाल की अपील पर यह फैसला दिया है। सभी आरोपी उत्तरी-पूर्वी जिला के दिल्ली पुलिस के स्पेशल स्टाफ के सदस्य थे। इन पुलिसकर्मियों पर वर्ष 1995 में दिलीप चर्कवर्ती नामक व्यक्ति हिरासत में हत्या करने का आरोप था। इस मामले में निचली अदालत ने 2000 में छह पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।

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