...तो सरकार के खातों में जामा होगा पैसा
हाईकोर्ट ने बुधवार को साफ कर दिया कि नियमों की अनदेखी कर मनमाना फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों को किसी भी हाल में राहत नहीं दी जाएगी। हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार ने कहा कि जस्टिस अनिल देव सिंह की कमेटी...
हाईकोर्ट ने बुधवार को साफ कर दिया कि नियमों की अनदेखी कर मनमाना फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों को किसी भी हाल में राहत नहीं दी जाएगी। हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार ने कहा कि जस्टिस अनिल देव सिंह की कमेटी की सिफारिशों के अनुसार फीस वापस नहीं करने वाले स्कूलों से सख्ती से पेश आए। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और नज्मी वजीरी की पीठ ने सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अभिभावकों को उनका पैसा ब्याज सहित वापस दिलाए। साथ ही कहा कि यदि किसी कारणवश कुछ अभिभावकों का पैसा उन तक नहीं पहुंच पाता है तो वह रकम सरकार के खाते में जमा होगा न कि स्कूलों में पास छोड़ा जाए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अभिभावक महासंघ की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल व खगेश झा को निर्देश दिया कि वे सरकार और स्कूलों के उन दावों की जांच करे कि जिसमें कहा गया है कि कुछ स्कूलों ने पैसे वापस कर दिए। पीठ ने दोनों अधिवक्ताओं को इस बारे में कुछ अभिभावकों से बात करने और वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिए कहा है। इस बीच अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महज 103 स्कूलों को 104 करोड़ रुपये लौटाने हैं। उन्होंने कहा कि यदि 544 स्कूलों की बात करें जिन्हें ब्याज सहित फीस वापस करने हैं तो यह आंकड़ा 450 करोड़ रुपये से अधिक होगा। उन्होंने पीठ को बताया कि सभी स्कूलों को लगभग 350 करोड़ रुपये वापस करने है। फीस बढ़ोतरी के खिलाफ वर्ष 2009 में अभिभावक महासंघ ने ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वर्ष 2011 में हाईकोर्ट ने जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी कि अगुवाई स्कूलों के खातों की जांच करने का आदेश दिया था। 249 स्कूलों की होगी विशेष जांच केजरीवाल सरकार 249 निजी स्कूलों का विशेष जांच कराएगी। इसके लिए सरकार अपने अधिकारियों के साथ-साथ नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) से संबद्ध चार्टड एकाउंटेंट की मदद लेगी। सरकार की ओर से हाईकोर्ट में बुधवार को दाखिल हलफनामे में इसकी जानकारी दी गई है। मनमानी फीस बढ़ोतरी की जांच के लिए जस्टिस अनिल देव सिंह की कमेटी ने इन स्कूलों की विशेष जांच कराने की सिफारिश की थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इन स्कूलों के खातों की विशेष जांच की जरूरत है क्योंकि कुछ के पास अपने खातों का लेखाजोखा नहीं है और कुछ ने फीस बढ़ोतरी को जायज ठहराने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया। हाईकोर्ट में मौजूद शिक्षा सचिव ने कहा कि इन स्कूलों की जांच के लिए नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) से संबद्ध चार्टड एकाउंटेंट व पूर्व अधिकारियों की मदद ली जाएगी।