गोलाबारी से तबाह हुए सीमावर्ती इलाकों के लोगों ने आश्रय मांगा
खौर-पर्गवाल सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पार हुई भारी गोलाबारी से कई गांव तबाह हो गए हैं। लोग अपने घर, पशुधन और आजीविका खोने के बाद सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि...

खौर (अखनूर), एजेंसी। नियंत्रण रेखा के पार से भारी गोलाबारी से तबाह हुए जम्मू जिले के खौर-पर्गवाल सेक्टर के कई सीमावर्ती गांवों के लोग घर, पशुधन और आजीविका खोने के बाद सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। मकानों के क्षतिग्रस्त होने और पशुधन के नुकसान के बाद वे अब सरकार से तत्काल सिर पर छत और दीर्घकालिक पुनर्वास प्रदान का आग्रह कर रहे हैं। पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू किए जाने के बाद यह गोलाबारी हुई थी। जम्मू में हाल में हुई गोलाबारी और ड्रोन हमलों में 27 लोग मारे गए और 70 से अधिक घायल हो गए।
हजारों लोगों ने नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों से पलायन कर सरकारी राहत शिविरों में शरण ली थी। मवेशियों की मौत से रोजगार का संकट सीमावर्ती गांव की कमला देवी अपने भाई के साथ लौटीं तो देखा कि उनका घर बर्बाद हो चुका है और मवेशी मर चुके हैं। रुंधे हुए स्वर में उन्होंने कहा कि अब हम कहां रहेंगे? हम जिन जानवरों पर निर्भर थे वे मर चुके हैं। हमारा घर भी बर्बाद हो चुका है। कोई काम नहीं है। विस्थापन का दर्द साझा करते हुए कमला कहती हैं कि सीमा पर तनाव के कारण वह भागकर अपने पिता के घर चली गईं थीं। पूरी तरह संघर्षविराम हो बार-बार की गोलाबारी और पिछले कुछ साल में संघर्षविराम समझौते की कथित विफलता को लेकर ग्रामीणों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। पूर्व पंचायत सदस्य जोगिंदर लाल ने पूरी तरह संघर्षविराम की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान संघर्षविराम का सम्मान नहीं करता तो संघर्षविराम का क्या मतलब है? हम पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए युद्ध चाहते हैं। हम किसी भी सरकारी नीति के बंधक नहीं बन सकते जो हमें अनिश्चितता में डालती है। शांति का एकमात्र समाधान युद्ध दीपक कुमार के कान में मामूली चोट लगी है और उनके घर को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि गोलाबारी में उनके पड़ोसी करण सिंह का मकान नष्ट हो गया। कुमार ने कहा कि अगर पाकिस्तान भविष्य में आतंकी हमले करते हैं, तो हमें मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। लेकिन जैसे को तैसा नीति सीमावर्ती निवासियों के लिए और अधिक कष्ट लाती है। इसका एकमात्र समाधान पाकिस्तान के साथ युद्ध है।
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