Gujarat CID Arrests Bhupendra Singh Jala Ponzi Scheme Operator Luring Investors with 36 Annual Interest गुजरात में फरार पोंजी स्कीम संचालक गिरफ्तार, Delhi Hindi News - Hindustan
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गुजरात में फरार पोंजी स्कीम संचालक गिरफ्तार

निवेशकों को लुभाने के लिए कमीशन पर रखे थे एजेंट लोगों को 36 %

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 Dec 2024 10:21 PM
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गुजरात में फरार पोंजी स्कीम संचालक गिरफ्तार

निवेशकों को लुभाने के लिए कमीशन पर रखे थे एजेंट लोगों को 36 % वार्षिक ब्याज दर का लालच दिया गया

अहमदाबाद, एजेंसी। गुजरात अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने शुक्रवार को कथित पोंजी स्कीम संचालक भूपेंद्र सिंह जाला को मेहसाणा जिले के एक गांव से गिरफ्तार कर लिया। वह एक महीने से फरार था। उसकी योजना ने चार वर्षों में 360 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्राप्त किया था।

पुलिस अधीक्षक (सीआईडी-क्राइम) हिमांशु वर्मा ने कहा, हमने मुख्य आरोपी भूपेंद्र सिंह जाला को मेहसाणा के एक फार्महाउस से गिरफ्तार किया, जहां वह छिपा हुआ था। सीआईडी ​​के अनुसार, जाला ने लोगों को 36 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर का लालच देकर अपनी फर्म बीजेड फाइनेंशियल सर्विस की योजनाओं में पैसा लगाने के लिए राजी किया और निवेशकों के 100 करोड़ रुपये का इस्तेमाल 17 संपत्तियां खरीदने में किया।

नवंबर में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने और उसकी संपत्तियों पर छापेमारी के बाद वह फरार हो गया। उसकी आलीशान संपत्तियों के अलावा, पुलिस ने एक पोर्श सहित पांच कारें जब्त की हैं, जिनकी कुल कीमत 9 करोड़ रुपये है।

सीआईडी ​​ने पहले कहा था कि एक अज्ञात स्रोत से प्राप्त इनपुट के आधार पर, पुलिस ने जाला की गतिविधियों पर निगरानी रखी। पुलिस ने जांच में पाया कि उसने अनजान लोगों से जमा राशि एकत्र करने के लिए उत्तर गुजरात, गांधीनगर और वडोदरा में कार्यालय खोले थे।

बीजेड फाइनेंशियल सर्विस सहित जाला की फर्मों से जुड़े चार बैंक खातों में 2020 और 2024 के बीच 360.72 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। सीआईडी ​​ने कहा कि एक खाते में, निवेशकों ने लगभग 52 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जिसे बाद में हवाला चैनलों का उपयोग करके डायवर्ट किया गया।

साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर तालुका के निवासी जाला द्वारा शुरू की गई इस योजना में पांच से छह क्रिकेटर और कई स्कूली शिक्षक शामिल थे। जमा राशि एकत्र करने के लिए उसे आरबीआई या किसी अन्य वित्तीय प्राधिकरण से कभी कोई मंजूरी नहीं मिली।

उसकी फर्में शुरू में निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए वादा किए गए रिटर्न का भुगतान करती थीं, लेकिन बाद में वे चूक जाती थीं। सीआईडी ​​ने बताया कि उसने निवेशकों को लुभाने के लिए कमीशन के आधार पर एजेंट भी नियुक्त किए थे।

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