क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्री समूह की रिपोर्ट के लिए करना होगा इंतजार
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्रियों के समूह ने रिपोर्ट देने के लिए जीएसटी परिषद से छह महीने का अतिरिक्त समय मांगा है। यह निर्णय कानूनी राय लेने...

- वित्त राज्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह रिपोर्ट देने के लिए मांगेगा छह माह का अतिरिक्त समय - नियम के तहत मार्च 2026 तक लगाया जा सकता है उपकर
- अंतिम रिपोर्ट देने से पूर्व कानूनी राय लेना चाहता है मंत्री समूह
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में गठित जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए जीएसटी परिषद से छह महीने का अतिरिक्त समय मांगने का फैसला किया है। समूह को 31 दिसंबर तक जीएसटी परिषद को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी।
जीओएम ने फैसला किया है कि मुआवजा उपकर मामले में कई कानूनी मुद्दे हैं, जिन पर कानूनी रूप से विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जरूरत है, जिसमें समय लगेगा। सूत्रों का कहना है कि समूह द्वारा जीएसटी परिषद से 5-6 महीने का विस्तार मांग सकता है। एक अधिकारी बताते हैं कि उपकर पर फैसला लेने के लिए हमारे पास मार्च 2026 तक का समय है। इसलिए चर्चा के लिए अभी वक्त है और इस मुद्दे पर कानूनी राय भी लेनी जरूरी है। जीएसटी व्यवस्था में 28 प्रतिशत कर के अलावा विलासिता पाप और अवगुण वस्तुओं पर विभिन्न कर दरों के अतिरिक्त मुआवजा उपकर (सेस) लगाया जाता है। पाप वस्तुओं की श्रेणी में वे वस्तुएं आती हैं जो समाज के लिए हानिकारक होती हैं। इनमें तंबाकू, सिगरेट, जुआ आदि शामिल होती हैं। मंत्री समूह की अभी तक की चर्चा में राज्यों की तरफ से कई तरह के सुझाव आए हैं। मुआवजा उपकर के पुनर्गठित करने का एकमात्र तरीका करों के साथ लेवी का विलय किया जाना और उपकर लगने वाली वस्तुओं के लिए अलग से कर दर लाया जाना। यानी एक नई कर दर बनाई जाए, जिसमें विलासिता, पाप और अवगुण वस्तुएं शामिल हों। हालांकि, अभी तक इस पर कोई सहमति नहीं बनी है।
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सिर्फ पांच वर्ष के लिए लगाया गया था उपकर
वर्ष 2017 में जीएसटी आने के बाद पांच साल यानी जून 2022 तक उपकर लगाए रखने का निर्णय लिया गया था। इसे जीएसटी लागू होने पर राज्यों को हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए लाया गया था, लेकिन वर्ष 2022 में जीएसटी परिषद ने कोविड की अवधि में राज्यों के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए वित्तीय वर्ष 2021 और 2022 में 2.69 लाख करोड़ रुपये के ऋण लिए। ऐसे में ऋण से जुड़े ब्याज और मूल धनराशि को चुकाने के लिए उपकर मार्च 2026 तक लगाए रखने का निर्णय लिया गया। अब उपकर समाप्त होने में केवल डेढ़ वर्ष शेष है। ऐसी स्थिति में जीएसटी परिषद ने नौ सितंबर की 54वीं बैठक में उपकर के भविष्य के प्रारूप को तय करने के लिए जीओएम का गठन किया था।
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35 प्रतिशत की जीएसटी दर का प्रस्ताव भी
जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में गठित दूसरे मंत्री समूह ने विलासिता, सिगरेट, तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों पर मौजूदा 28 प्रतिशत कर दर को बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है। मंत्री समूह ने 148 वस्तुओं की दरों में बदलाव की सिफारिश जीएसटी परिषद से करने का निर्णय लिया है। इनमें 25 हजार से अधिक की घड़ी पर जीएसटी 18 से बढ़ाकर 28 फीसदी और 15 हजार से अधिक के जूतों पर भी जीएसटी 18 से बढ़ाकर 28 किए जाने का प्रस्ताव भी शामिल है। अब अंतिम फैसला 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में होने जा रही परिषद की बैठक में लिया जाना है। जानकार कहते हैं कि 35 प्रतिशत की नई दर पर अंतिम फैसला होने की संभावना कम है। खासकर जब तक जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) की रिपोर्ट नहीं आ जाती। नई दर लाने में कई कानूनी अड़चनें हैं। इसके लिए काफी सारे बदलाव करने होंगे। इसके अतिरिक्त, अन्य वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव किए जा सकते हैं।
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