कराधान के सरलीकरण पर होगा जोर
नई दिल्ली में, सरकार नए साल में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर नीतियों को सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 2024 में आयकर कानून की समीक्षा और जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर काम शुरू किया गया है।...

नई दिल्ली, एजेंसी। नए साल में सरकार का मुख्य जोर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर नीतियों के सरलीकरण पर होगा। गौरतलब है कि 2024 में छह दशक पुराने आयकर कानून की समीक्षा और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों को युक्तिसंगत बनाने पर काम शुरू किया गया है। सरकार ने आयकर अधिनियम, 1961 की समीक्षा शुरू कर दी है, ताकि इसे सरल और समझने में आसान बनाया जा सके। अप्रचलित प्रावधानों को हटाने और इसे संक्षिप्त बनाने के लिए आयकर कानून में संशोधन बजट सत्र के शुरू में संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
कर चोरी को रोकने और धनशोधन-रोधक प्रावधानों को मजबूत करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय ने भारत को वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) से 2024 में सर्वोच्च रेटिंग दिलाई।
जीएसटी के मोर्चे पर, कर अधिकारी फर्जी पंजीकरण से जूझ रहे हैं, जिसका एकमात्र उद्देश्य धोखाधड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करना और सरकारी खजाने को चूना लगाना है। संसद में पेश की गई जानकारी के अनुसार, जीएसटी अधिकारियों ने अप्रैल-अक्टूबर, 2024 के बीच 17,818 फर्जी फर्मों द्वारा 35,132 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट चोरी के मामलों का पता लगाया और 69 लोगों को गिरफ्तार किया।
फर्जी इकाइयों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र और राज्यों की जीएसटी परिषद ने कुछ संदिग्ध व्यवसायों के लिए बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण की व्यवस्था पहले ही शुरू कर दी है।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि कर स्लैब को युक्तिसंगत बनाने, केंद्रीकृत अपीलीय न्यायाधिकरण के माध्यम से मुकदमेबाजी को कम करने और डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाने पर जोर देना महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि 2025 में चालान मिलान प्रणाली (आईएमएस) की शुरुआत से धोखाधड़ी वाले आईटीसी दावों को कम करके जीएसटी फाइलिंग में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ेगी। डेलॉयट इंडिया के भागीदार और लीडर (अप्रत्यक्ष कर) महेश जयसिंह ने कहा कि 2025 में प्रत्याशित सुधारों में जीएसटी दर युक्तिकरण शामिल है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी उन्नयन और चालान प्रबंधन प्रणाली जैसे उपायों को लागू करने से एक सरल, उद्योग के अनुकूल और विकास को बढ़ावा देने वाला पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने में मदद मिलेगी।
जीएसटी की दरें घटाने को लेकर अटकलें जारी
मासिक सकल जीएसटी संग्रह लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये पर स्थिर होने और सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 20 प्रतिशत की दर से लगातार वृद्धि के साथ आने वाले वक्त में व्यक्तियों के साथ ही कॉरपोरेट के लिए अनुपालन बोझ को कम करने के प्रयासों में तेजी आएगी। जीएसटी के मोर्चे पर आम लोग जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में कर कटौती का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा होने पर बीमा की लागत कम हो जाएगी। दूसरी ओर व्यवसाय तेजी से विवाद समाधान के लिए जीएसटी न्यायाधिकरण के संचालन का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा, जीएसटी दरों और स्लैब को युक्तिसंगत बनाने के लिए एक मंत्रिसमूह (जीओएम) विचार कर रहा है। हालांकि, इस बारे में अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद लेगी।
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