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गुजरात : 2002 के गोधरा कांड के दौरान ट्रेन में आग लगाने वाले रफीक भटुक को उम्रकैद

गोधरा कांड का मुख्य आरोपी इस मामले में अपना नाम आने के बाद से ही फरार चल रहा था। 19 साल से गुजरात पुलिस उसकी गहनता से तलाश में थी। गोधरा पुलिस ने पिछली साल ही उसे गिरफ्तार किया था।

गुजरात : 2002 के गोधरा कांड के दौरान ट्रेन में आग लगाने वाले रफीक भटुक को उम्रकैद
Newswrapगोधरा (गुजरात)। एजेंसीSun, 03 Jul 2022 11:19 PM

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गुजरात के चर्चित गोधरा कांड के एक दोषी रफीक भटुक को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। 2002 में गोधरा में ट्रेन पर किए गए इस हमले और आगजनी में 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी।

27 फरवरी 2002 को अयोध्या से कारसेवकों को लेकर लौट रही एक ट्रेन को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया था। इस हमले में ट्रेन के कोच में सवार सभी कारसेवकों की दर्दनाक मौत हो गई थी। आगजनी की इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के थे। ट्रेन में आगजनी करने का आरोपी रफीक भटुक घटना के बाद से फरार चल रहा था। इस मामले में अब तक 35वां आरोपी है, जिसे अदालत ने दोषी ठहराया है।

पेट्रोल छिड़कर कोच में लगाई थी आग

27 फरवरी 2002 को हुए नरसंहार मामले में मुख्य आरोपियों में से भटुक ने घटना के दिन साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस -6 कोच में पेट्रोल छिड़ककर आग लगाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस कोच में 59 कारसेवक सवार थे जो अयोध्या से लौट रहे थे। इस हृदय विदारक घटना में सभी कारसेवकों की दर्दनाक मौत हो गई थी। घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे।

19 साल से चल रहा था फरार

गोधरा कांड का मुख्य आरोपी इस मामले में अपना नाम आने के बाद से ही फरार चल रहा था। 19 साल से गुजरात पुलिस उसकी तलाश में थी। गोधरा पुलिस ने पिछली साल ही उसे गिरफ्तार किया था। रफीक को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने बताया था कि ट्रेन के कंपार्टमेंट को जलाने के लिए पेट्रोल का बंदोबस्त करना, भीड़ को उकसाना और पूरी साजिश रचने में रफीक का बड़ा हाथ था। हिंसा के दौरान रफीक उस वक्त एक मजदूर के तौर पर स्टेशन पर काम करता था।

पिछले साल हुई थी भटुक की गिरफ्तारी

भटुक को फरवरी 2021 में पंचमहल पुलिस और गुजरात एसओजी की टीम ने गोधरा शहर के एक इलाके से दबोचा था। मामले का आरोपी बनाए जाने के बाद से ही भटुक फरार चल रहा था। फरार होने के बाद वो देश के कई शहरों में रुका था। उसने कुछ समय दिल्ली में भी बिताया था। बाद में वो गोधरा में आकर अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था। भटुक की तलाश में लगी एसओजी को सुराग मिलते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

35 लोगों को हो चुकी है सजा

गोधरा में ट्रेन को आग लगाने के मामले में विशेष एसआईटी अदालत पहले ही इस मामले में 31 लोगों को सजा सुना चुकी है। 2011 में इन्हें सजा सुनाई गई थी। इनमें 11 को मृत्युदंड और 20 का उम्रकैद की सजा दी गई थी। एसआईटी अदालत के इस फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने भी एसआईटी अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। बाद में, इस मामले में तीन और लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अब तक इस मामले में 35 लोगों को सजा हो चुकी है।

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