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ठगी की रकम कोर्ट के नाम से फिक्सड डिपोजिट करने पर जमानत

क्रेडिट कार्ड बनाने के नाम पर लोगों से लाखों रुपये ठगने वाले एक आरोपी को अदालत ने जमानत देने के लिए अलग तरह की शर्त रखी है। अदालत ने कहा कि अगर उसे जमानत चाहिए तो पहले ठगी की रकम को जिला एवं सत्र...

ठगी की रकम कोर्ट के नाम से फिक्सड डिपोजिट करने पर जमानत
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSun, 13 Aug 2017 10:49 PM
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क्रेडिट कार्ड बनाने के नाम पर लोगों से लाखों रुपये ठगने वाले एक आरोपी को अदालत ने जमानत देने के लिए अलग तरह की शर्त रखी है। अदालत ने कहा कि अगर उसे जमानत चाहिए तो पहले ठगी की रकम को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कार्यालय के नाम पर किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में फिक्सड डिपोजिट(एफडी) कराए। रोहिणी स्थित अतिरिक्ति सत्र न्यायाधीश एम. आर सेठी की अदालत ने दोबारा दाखिल की गई आरोपी सतपाल की अर्जी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी ने पूर्व में अदालत की शर्त पर सहमति जताई थी। लिहाजा उसे उक्त रकम जमा करानी होगी, उसके बाद ही आरोपी की जमानत याचिका पर विचार किया जाएगा। पेश मामले में अप्रैल 2017 में सुभाष प्लेस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में कहा गया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के क्रेडिट कार्ड बनाने के नाम पर आरोपियों ने लाखों रुपयों की धोखाधड़ी की। इस बाबत आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में आरोपी सतपाल और अन्य की गिरफ्तारी हुई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 3 जुलाई 2017 को आरोपी को ठगी की रकम फिक्सड डिपोजिट कराने की शर्त पर जमानत देने को कहा था। तब आरोपी के वकील ने कथित ठगी की रकम को जमा करने पर हामी भरी थी। मगर अब आरोपी आर्थिक तंगी का हवाला देकर शर्त को हटाने की गुहार लगा रहा है, लेकिन अदालत ने साफ कर दिया है कि आरोपी को इसी शर्त पर जमानत पर रिहा मिलेगी। फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी प्राथमिकी के अनुसार, आरोपियों ने फर्जी बेवसाइट बनाकर लोगों को क्रेडिट कार्ड बनाने का प्रस्ताव भेजा। इसी आधार पर लोगों ने इनसे संपर्क किया। शुरुआत में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन बाद में सूचना एवं तकनीकी अधिनियम की धारा 66(डी) को भी प्राथमिकी में जोड़ा गया। पांच लाख 35 हजार की एफडी का आदेश अदालत ने आरोपी को पांच लाख 35 हजार रुपये की एफडी कराने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह रकम बैंक में जमा रहेगी, जिसके हक में फैसला आएगा, उसे यह रकम मय ब्याज चुकता कर दी जाएगी।

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