मनमोहन ने साबित किया सियासत में शराफत के लिए जगह : गोपाल कृष्ण
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने अपनी पुस्तक में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आखिरी सच्चे भारतीय राजनेता थे। उन्होंने कहा कि सिंह के निधन से भारत के सार्वजनिक जीवन में...

- पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल ने अपनी पुस्तक में किया दावा नई दिल्ली, एजेंसी। पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ऐसे आखिरी सच्चे भारतीय राजनेता थे, जिन्हें वह निजी तौर पर जानते थे। सिंह ने सार्वजनिक जीवन में रहते हुए यह दिखाया कि सियासत में शराफत के लिए अभी भी जगह है।
गांधी ने गुरुवार को यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में अपनी पुस्तक ‘द अनडाइंग लाइट: ए पर्सनल हिस्ट्री ऑफ इंडिपेंडेंट इंडिया के विमोचन के दौरान यह टिप्पणी की। उनका कहना था कि सिंह के निधन के साथ भारत के सार्वजनिक जीवन में शालीनता के संदर्भ में एक शून्य पैदा हो गया है। मालूम हो कि मनमोहन सिंह का पिछले साल 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा, डॉ. मनमोहन सिंह आखिरी जीवित भारतीय राजनेता थे जिन्हें मैं जानता हूं... वह कार्यालय में होते थे, ‘वाररूम में नहीं। उनकी मेज एक डेस्क थी, यह युद्ध बोर्ड नहीं थी। उनकी कलम लिखती थी, वह फरमान नहीं सुनाते थे। सियासत राजनीति के लिए एक हिंदुस्तानी शब्द है और शराफत ईमानदारी और शालीनता के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द है। मनमोहन ने दिखाया है कि सियासत में शराफत के लिए जगह है। इस विमोचन कार्यक्रम में सिंह की पत्नी गुरशरण कौर पर भी मौजूद थीं। उनकी किताब का औपचारिक विमोचन अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने किया।
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राजीव गांधी की हत्या के बाद शेषन ने गृहमंत्री बनने की पेशकश की थी
गोपाल कृष्ण गांधी ने किताब में दावा किया है कि 21 मई 1991 को जब राजीव गांधी की हत्या हुई थी, तब तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) टीएन शेषन ने आम चुनाव प्रक्रिया को तत्काल रोकने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने खुद गृहमंत्री बनने की पेशकश की थी। गोपाल गांधी उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन के संयुक्त सचिव थे, जब तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती बम हमले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। पुस्तक में गांधी ने याद किया कि शेषन ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने राष्ट्रपति को हत्या की खबर दी थी। उन्होंने लिखा है कि शेषन उस रात बहुत तेजी से राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। गोपाल कृष्ण गांधी राष्ट्रपति भवन में शेषन, वेंकटरमन और राष्ट्रपति के सचिव पी. मुरारी के साथ मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सीईसी ने इस मामले की तात्कालिकता के बारे में अपने विचार रखे थे।
पुस्तक में कहा गया है, शेषन ने शीघ्रता से कहा कि उन्हें लगता है कि चुनाव प्रक्रिया को तुरंत रोक दिया जाना चाहिए, देश की सुरक्षा को त्वरित तरीके से नियंत्रण में लाया जाना चाहिए। वह सीईसी के रूप में अपनी भूमिका से परे जाकर कोई अन्य भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं और यदि आरवी (आर वेंकटरमन) को उचित लगे तो वह देश के गृहमंत्री के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
वर्ष 1991 की शुरुआत में कांग्रेस ने यह आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था कि सरकार ने राजीव गांधी की जासूसी कराई थी। चंद्रशेखर ने पद छोड़ दिया और किसी अन्य पार्टी के स्थिर विकल्प प्रदान करने में सक्षम नहीं होने के कारण नए चुनाव कराए गए।
राजीव गांधी की हत्या श्रीलंका के उग्रवादी संगठन लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) से जुड़े एक आत्मघाती हमलावर द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान की गई थी। शेषन को 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 के बीच 10वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान प्रमुख चुनाव सुधारों की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है।
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