ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News NCR नई दिल्लीबिहार के ध्यानार्थ :: सांसद अमरेंद्र धारी सिंह को घर में रखने की मांग पर चिकित्सा रिपोर्ट तलब

बिहार के ध्यानार्थ :: सांसद अमरेंद्र धारी सिंह को घर में रखने की मांग पर चिकित्सा रिपोर्ट तलब

- हाईकोर्ट ने अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित कर राजद सांसद की चिकित्सा रिपोर्ट

बिहार के ध्यानार्थ :: सांसद अमरेंद्र धारी सिंह को घर में रखने की मांग पर चिकित्सा रिपोर्ट तलब
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 29 Jun 2021 08:30 PM
ऐप पर पढ़ें

- हाईकोर्ट ने अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित कर राजद सांसद की चिकित्सा रिपोर्ट देने को कहा

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता

धन शोधन के मामले में गिरफ्तार राजद सांसद अमरेंद्र धारी सिंह को जेल में रखने के बजाय घर में नजरबंद करने की मांग पर हाईकोर्ट ने गंगाराम हॉस्पिटल से उनका चिकित्सा रिपोर्ट पेश करने को कहा है। न्यायालय ने हॉस्पिटल को इसके लिए मेडिकल बोर्ड बनाने और सिंह की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

जस्टिस अनूप जे. भंभानी ने राज्यसभा सदस्य सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। सिंह ने याचिका में खराब होती अपनी स्वास्थ्य के मद्देनजर तिहाड़ जेल के बजाय घर में नजरबंद करने का आदेश देने की मांग की है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अस्पताल से कहा कि वह याचिकाकर्ता के बारे में विस्तृत चिकित्सा रिपोर्ट दे ताकि उसके आधार पर मामले में उचित निर्णय लिया जा सके।

न्यायालय ने मामले के जांच अधिकारी को आदेश दिया है कि वह विशेषज्ञ डॉक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड गठित करने के अनुरोध के साथ गंगाराम अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से संपर्क करें। साथ ही गठित होने वाले मेडिकल बोर्ड को आरोपी सांसद सिंह के स्वास्थ्य की जांच करने व उसकी समीक्षा करने के साथ रिपोर्ट देने को कहा है।

--

सांसद लिम्फेटिक कैंसर से पीड़ित :

सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल की उम्र 62 साल है और बिहार से राज्यसभा सदस्य हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। जेल कोरोना संक्रमण के मद्देनजर बेहद असुरक्षित है। उन्होंने कहा सिंह को 2002 से लिम्फेटिक कैंसर हुआ था और वे न्यूयॉर्क से इलाज करा रहे हैं। अग्रवाल ने न्यायालय को बताया कि कैंसर के अलावा सिंह उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे अन्य बीमारियों से भी पीड़ित हैं। अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गौतम नवलखा के मामले में पारित फैसले का हवाला दिया। अधिवक्ता ने कहा कि घर में नजरबंद होने के बाद भी उनका मुवक्किल न्यायिक हिरासत में होंगे, ऐसे में उनके इलाज का देखभाल के लिए राज्य जिम्मेदार होगा। याचिका में कहा गया है कि यदि आरोपी को घर में रहने की अनुमति मिलती है तो किसी भी आपातस्थिति में उन्हें 60 मिनट के भीतर किसी भी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा सकता है। जबकि जेल में रहने पर ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें