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फिल्म के माध्यम से शहरीकरण की विसंगतियां हुईं उजागर

तेजी से हो रहे शहरीकरण ने जहां लोगों की सुविधाओं में इजाफा किया है वहीं तमाम तरह की विसंगतियां भी पैदा हुई हैं। खासतौर पर शहरीकरण के चलते लोग अपनी परंपराओं से कटने लगे हैं। शहरीकरण की इन विसंगतियों...

फिल्म के माध्यम से शहरीकरण की विसंगतियां हुईं उजागर
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 08 Dec 2017 11:53 PM
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नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता

तेजी से हो रहे शहरीकरण ने जहां लोगों की सुविधाओं में इजाफा किया है, वहीं तमाम तरह की विसंगतियां भी पैदा हुई हैं। खासतौर पर लोग अपनी परंपराओं से कटने लगे हैं। इसे दिल्ली अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई फिल्म ‘शहर में बखूबी प्रदर्शित किया गया।

निर्देशक राजीव मुदगल शंकर ने इस फिल्म में पांच पात्रों के माध्यम से शहरीकरण की तमाम समस्याओं को बयां किया है। शहरीकरण हर व्यक्ति को प्रभावित करता है। जो कुछ उसके अनुकूल नहीं होता उसे वह अपने रास्ते से हटा देता है। ‘शहर फिल्म में बंसी, दुर्गा, ओझा और विष्णु जैसे पात्र हैं, जबकि पांचवां पात्र दिव्यांग है।

पहले चारों पात्र शहर में तेजी से गायब हो रहे परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि बैसाखी के सहारे चलने वाला पात्र शहर की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। वह अपनी घातक और मोहक शक्तियों को व्यक्त करता है। सभी पात्र अपनी परंपराओं से बंधे हुए हैं। परंपरा के गायब होते ही उनका संसार भी गायब हो जाता है। मंदिर के एक परिसर में छोटी सी जगह में ही उनकी पूरी दुनिया बनी हुई है। फिल्म में कैमरा अपने किरदारों के साथ बंधकर रहता है, ताकि दर्शक उनके सीमित जीवन और विवशता का अनुभव कर सकें। एनडीएमसी के कन्वेंशन सेंटर में चल रहे दिल्ली अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का समापन शनिवार को होगा।

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