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संपादित-- छह साल से यौन शोषण की शिकार किशोरी को मुक्त कराया

कार्रवाई - रांची से अपहरण कर दिल्ली लाए थे, एक आरोपी गिरफ्तार - राजेंद्र

संपादित-- छह साल से यौन शोषण की शिकार किशोरी को मुक्त कराया
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 30 Oct 2020 06:20 PM
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कार्रवाई

- रांची से अपहरण कर दिल्ली लाए थे, एक आरोपी गिरफ्तार

- राजेंद्र नगर थाना पुलिस ने पीड़िता को परिजनों को सौंपा

नई दिल्ली। हेमंत कुमार पांडेय

छह साल पहले रांची के एक गांव से अपहृत 11 साल की बच्ची का दिल्ली में छह साल तक यौन शोषण होता रहा। उससे घरों में काम कराया गया लेकिन मेहनताना हड़प लिया गया। बहरहाल, राजेंद्र नगर थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अभी 17 साल की हो चुकी किशोरी को मुक्त कराते हुए उसे परिजनों को सौंप दिया है। पुलिस ने मामले में एक आरोपी को भी दबोचा है।

पुलिस के अनुसार, पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी 11 साल की बच्ची 2014 में घर से बिना बताए देर रात दशहरा मेला देखने गई थी। मेले में जानकार कुंवर और अमन ने बताया कि उसका भाई बीमार है और वे उसे साथ ले गए। आरोपियों ने दो दिनों तक तक जंगल में मौजूद एक झोपड़ी में में लड़की को रखा और फिर ट्रेन से दिल्ली लाए। इसके बाद बच्ची को प्रेम नगर की तंग गलियों में बंधक बनाकर रखा गया। पीड़िता को कुंवर ने अगर नगर स्थित चंपा नाम की महिला के घर में रख दिया। पीडिता ने बताया कि यहां पर उसके साथ दस लड़कों ने दुष्कर्म किया, जिसमें शुभम को वह पहले से जानती थी। फिर पीड़िता राणा प्रताप बाग की कोठियों में घरेलू काम करने लगी। दो साल बाद कुंवर के कहने पर शुभम उसे अगर नगर स्थित अपने घर ले आया, जहां वह आए दिन किशोरी से दुष्कर्म करता था। पीड़िता को कुछ दिनों पहले रोहिणी सेक्टर 11 स्थित एक कोठी में काम करने के लिए भेजा गया। वहां पर पीड़िता ने घर की मालकिन से अपनी पूरी कहानी बताई तो उन्होंने राजेंद्र नगर थाने को सूचना दी। लेकिन, जांच के दौरान मामला प्रेम नगर थाने का पाया गया तो एफआईआर यहां भेज दी गई। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए किशोरी को उसके परिजनों को सौंप दिया। जांच में मालूम हुआ कि आरोपी शुभम दुष्कर्म के एक मामले में पहले से ही खूंटी जेल में बंद है। पुलिस शुभम का प्रोडक्शन वारंट लेने की तैयारी कर रही है ताकि अन्य आरोपियों की तलाश कर सके।

परिवार ने छोड़ दी थी जिंदा रहने की उम्मीद

जब दिल्ली पुलिस किशोरी को लेकर उसके गांव पहुंची तो किसी को भरोसा ही नहीं हुआ। माता-पिता ने अपनी बेटी के जिंदा रहने की उम्मीद ही खो दी थी। उन्होंने गुमशुदगी को लेकर स्थानीय थाने में शिकायत भी दी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तो थक हारकर बैठ गए थे।

कभी घर नहीं जाने दिया

पीड़िता ने बताया कि दिल्ली आने के तीन साल बाद उसने कुंवर से गांव जाने के लिए किराया मांगा। लेकिन उसने रुपये नहीं होने की बात कहकर टरका दिया। साथ ही उसने पीड़िता से और अधिक मेहनत करने के लिए कहा। लेकिन वह पीड़िता से काम कराता रहा और मेहनताना अपने पास रख लेता था।

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