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संपादित: भूजल सुरक्षा योजना तैयार करने के लिए समिति गठित

उत्तर प्रदेश में अधिसूचित क्षेत्र में भूजल सुरक्षा योजना बनाने और अवैध दोहन रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बुधवार को एक संयुक्त समिति का गठन...

संपादित: भूजल सुरक्षा योजना तैयार करने के लिए समिति गठित
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 04 Aug 2021 07:50 PM
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नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता

उत्तर प्रदेश में अधिसूचित क्षेत्र में भूजल सुरक्षा योजना बनाने और अवैध दोहन रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बुधवार को एक संयुक्त समिति का गठन किया है। एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने यूपी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेस-वे विकास प्राधिकरण (यीडा) की संयुक्त समिति बनाई है। पीठ ने समिति को एक माह के भीतर बैठक करने और इस बारे में समुचित रिपोर्ट देने को कहा है।

पीठ ने यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ओर से 5 मार्च 2021 को जारी आदेश को चुनौती देने वाली संजय कुमार की ओर से अधिवक्ता नंदिता द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में अधिवक्ता नंदिता ने कहा है कि प्राधिकरण का यह आदेश केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों और यूपी भूजल (प्रबंधन नियमन) कानून 2019 के प्रावधानों के खिलाफ है। याचिका के मुताबिक यीडा ने एसडीएस इंफ्राकोन को फायदा पहुंचाने के लिए बोरिंग/ ट्यूबवेल के जरिए पानी के दोहन की अनुमति दी। याचिका में कहा गया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही जारी अधिसूचना के तहत गौतमबुद्ध नगर के शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों को भी अधिसूचित क्षेत्र में चिह्नित किया है। याचिका में कहा गया है कि अधिसूचित क्षेत्र में बोरिंग के जरिए पानी निकासी की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उसके अलावा अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि प्रदेश में अधिसूचित क्षेत्र में भूजल सुरक्षा योजना नहीं है। याचिका में भूजल के अवैध दोहन पर रोक लगाने के साथ-साथ भूजल सुरक्षा योजना भी तैयार करने को कहा है।

क्या है अधिसूचित क्षेत्र

अधिसूचित क्षेत्र उन इलाकों को कहा जाता है जहां पर भूजल का स्तर काफी नीचे रहता है और पानी की किल्लत होती है।

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