संपादित-- जल्द जेल में वापस हो सकते हैं 6700 कैदी
संभावना - जेलों में भीड़ कम करने के लिए दी गई है जमानत या
संभावना
- जेलों में भीड़ कम करने के लिए दी गई है जमानत या पैरोल
- जमानत का दुरुपयोग करने की अर्जी पर अदालत में सुनवाई
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि महामारी के मद्देनजर कैदियों को दी गई अंतरिम जमानत और पैरोल की अवधि बढ़ाने वाले आदेश को अब खत्म करना चाहिए क्योंकि राजधानी की जेलों में संक्रमितों की संख्या महज 3 रह गई है। दरअसल, पीठ उस अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 13 जुलाई और 24 जुलाई के आदेशों को वापस लेने/संशोधित करने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल, सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की पूर्णपीठ के समक्ष जेल महानिदेशक ने कहा कि तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेलों की क्षमता 10 हजार कैदियों की है, जबकि अभी इनमें 15 हजार 900 कैदी बंद हैं। वहीं, न्यायालय के आदेश के मद्देनजर समय-समय पर अंतरिम जमानत या पैरोल की अवधि बढ़ाने के चलते 6700 कैदी जेल से बाहर हैं। इस पर पीठ ने कहा कि अब कोरोना का अध्याय समाप्त होना चाहिए, इन लोगों को आत्मसमर्पण करने दें या वापस जेल जाएं। पीठ ने कहा कि हमने महामारी को देखते हुए आदेश पारित किया था, हमारे आदेश का जेल की भीड़ को कम करने से ज्यादा कोई और मकसद नहीं है। बता दें कि पीठ ने उक्त आदेश में कोरोना महामारी के मद्देनजर 16 मार्च के पहले या उसके बाद अंतरिम जमानत/ पैरोल पर जेल से रिहा होने वाले सभी कैदियों को राहत देने हुए उनकी अंतरिम जमानत व पैरोल की अवधि 31 अक्तूबर तक बढ़ा दी थी।
उच्च न्यायालय में यह अर्जी दिल्ली हिंसा से जुड़े मामलों की पैरवी के लिए नियुक्त विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद की ओर से दाखिल की गई है। उन्होंने अर्जी में कहा है कि हिंसा सहित अन्य मामलों के कैदी उच्च न्यायालय के उक्त दोनों आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि यदि आदेश का दुरुपयोग किया जा रहा है तो वह अपने विस्तार के आदेश को वापस ले लेगी।