नई दिल्ली, एजेंसी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-पूर्व परामर्श बैठक में कृषि संगठनों और विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कृषि शोध में निवेश बढ़ाने, उर्वरक सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने और जलवायु परिवर्तन को लेकर कृषि क्षेत्र की जुझारू क्षमता बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया।
ढाई घंटे चली इस बैठक में कृषि क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के लिए बजट आवंटन को 9,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपये करने की वकालत की।
भारतीय खाद्य एवं कृषि चैंबर के चेयरमैन एम जे खान ने क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि अनुसंधान एवं विकास में बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत पर बल दिया। विशेषज्ञों ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से हस्तांतरण के लिए कृषि से संबंधित सारी सब्सिडी का एकीकरण करने और यूरिया के खुदरा मूल्य में वृद्धि करने की भी मांग की। सब्सिडी के माध्यम से जैव-उर्वरकों और पत्तों से बने उर्वरकों को बढ़ावा देने की मांग भी की गई।
कृषि क्षेत्र के जानकारों ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने के लिए बनी समिति को भंग करने, भारत के लिए एक नई कृषि नीति लागू करने और केंद्र-प्रायोजित योजनाओं में मानव संसाधन विकास के लिए वित्तपोषण अनुपात को 60:40 से बदलकर 90:10 करने का भी सुझाव दिया।
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