स्थाई चिकित्सा अधीक्षक न होने से मरीज परेशान
--एनसीसीएसए की बैठक नहीं होने से स्थाई नियुक्तियां रुकी हैं --हाईकोर्ट ने दो सप्ताह

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर लंबे समय से स्थाई नियुक्तियां नहीं हुई हैं। हालत यह है कि दिल्ली सरकार के 24 अस्पतालों में चिकित्सा अधीक्षक और निदेशकों के पद खाली हैं। कुछ डॉक्टर तो तीन से पांच अस्पतालों का प्रभार देख रहे हैं। इस कारण अस्पतालों का कामकाज प्रभावित हो रहा है और मरीज परेशान हैं। दिल्ली में स्वास्थ्य महानिदेशालय में भी स्थाई नियुक्ति का इंतजार है। दरअसल, लंबे समय से राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की बैठक न होने की वजह से ये नियुक्तियां नहीं हो पा रही है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान कहा कि अस्पतालों में एमएस या निदेशक की स्थाई नियुक्ति आवश्यक है और नौकरशाही की देरी का इंतजार नहीं किया जा सकता। इसने एनसीसीएसए और दिल्ली सरकार को सभी अस्पतालों में ऐसी पूर्णकालिक नियुक्तियों के लिए दो सप्ताह के भीतर कदम उठाने के निर्देश दिए। सितंबर 2023 से सरकारी अस्पतालों में रिक्तियों की संख्या 14 से बढ़कर 24 हो गई है।
दवाएं नहीं आ रहीं
अस्पतालों में चिकित्सा अधीक्षक स्थाई न होने की वजह से कई कामकाज रुके हुए हैं। अस्थाई चिकित्सा अधीक्षक दवाइयां खरीदने से लेकर चिकित्सा उपकरणों की मरम्मत तक कराने में झिझकते हैं। दिल्ली के आंबेडकर अस्पताल में पिछले कई सालों से स्थाई चिकित्सा अधीक्षक ना होने की वजह से दवाएं नहीं आ रही हैं। चिकित्सा उपकरण खराब होने पर उनकी मरम्मत का काम नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह है कि कुछ वार्डों में तो ब्लड प्रेशर मापने वाली मशीनें तक नहीं है। अस्पताल में व्हील चेयर और ट्रॉली टूटी हुई है। इसी तरह दिल्ली के राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में कई विभाग बंद होने के कगार पर है। दिल्ली राज्य कैंसर अस्पताल में मरीज दवाएं उपलब्ध न होने की शिकायत कर रहे हैं। यहां भी 2019 से कोई स्थाई चिकित्सा अधीक्षक नहीं हैं।
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