बीएस-6 वाहनों पर ग्रीन टैक्स का विरोध तेज
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई होने का इंतजार कर रहे ट्रांसपोर्टर

नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। दिल्ली में पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ग्रीन टैक्स) अब बीएस-6 श्रेणी के व्यावसायिक वाहनों से भी वसूला जा रहा है, जिसके खिलाफ ट्रांसपोर्टर्स खुलकर मोर्चा खोल चुके हैं। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशनों का कहना है कि जब ये वाहन प्रदूषण नहीं फैलाते, तो उन पर टैक्स थोपना अनुचित और शोषणकारी है। इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिस पर सुनवाई का इंतजार है। ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने आरोप लगाया कि दिल्ली में ट्रांसपोर्टरों का आर्थिक दोहन लगातार बढ़ रहा है। अब तक आवश्यक वस्तुओं का परिवहन करने वाले वाहनों को ग्रीन टैक्स से छूट थी, लेकिन इस बार इन्हें भी शुल्क के दायरे में ला दिया गया है।
कपूर के मुताबिक बीएस-4 और उससे नीचे के वाहनों पर टैक्स लगना वाजिब हो सकता है, क्योंकि उनसे प्रदूषण अधिक होता है, लेकिन बीएस-6 इंजन अत्याधुनिक और कम उत्सर्जन वाले हैं। दिल्ली सरकार ने राजधानी में बीएस-6 वाहनों का संचालन जारी रखने की अनुमति इसी वजह से दी है। पहली नवंबर से बीएस-4 श्रेणी के बाहरी वाहनों की दिल्ली में एंट्री बंद होगी, जबकि बीएस-6 वाहनों पर कोई रोक नहीं लगाई गई। इसके बावजूद उन पर ग्रीन टैक्स वसूली को ट्रांसपोर्टर्स अनुचित ठहरा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की उम्मीद संघों का कहना है कि याचिका पर तारीख तो लग चुकी है, पर सुनवाई नहीं हो पाई। जल्द ही इस पर सुनवाई होने की उम्मीद जताई जा रही है। ट्रांसपोर्टर वकीलों के जरिए अपना पक्ष मजबूती से रखने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि यह शुल्क सीधे तौर पर आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण मंत्री से मुलाकात की तैयारी ट्रांसपोर्टर प्रतिनिधिमंडल जल्द ही दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा से मुलाकात करेगा। उनका तर्क है कि जब 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को राहत दी जा सकती है, तो बीएस-6 वाहनों पर भी टैक्स हटाया जाना चाहिए। मांग न मानी गई तो आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




