Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsCourt Case Against Husband and Mother-in-Law in Dowry Harassment Four Accused Cleared
अस्पष्ट आरोपों के आधार पर किसी को फंसा नहीं सकते : कोर्ट

अस्पष्ट आरोपों के आधार पर किसी को फंसा नहीं सकते : कोर्ट

संक्षेप: कड़कड़डूमा कोर्ट की महिला अदालत ने दहेज प्रताड़ना मामले में चार आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया। पति मनीष और सास राजेश के खिलाफ गंभीर आरोपों के चलते मुकदमा जारी रहेगा। शिकायतकर्ता ने दहेज में कार, नकद और...

Sun, 31 Aug 2025 06:15 PMNewswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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- दहेज प्रताड़ना मामले में पति और सास पर चलेगा मुकदमा, चार आरोपियों को मिली राहत नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। कड़कड़डूमा कोर्ट की महिला अदालत ने दहेज उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में छह में से चार आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया। महिला अदालत की न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनिका ने कहा कि चार आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप सामान्य और अस्पष्ट हैं। इनके आधार पर किसी आरोपी को मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ सकता है। हालांकि, कोर्ट ने पति मनीष और सास राजेश पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए उनके खिलाफ मुकदमा जारी रखने का आदेश दिया। मामले में शिकायतकर्ता महिला ने बताया था कि उसकी शादी मनीष के साथ एक मई 2011 को हुई थी।

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शादी से पहले ही दहेज की मांग की गई थी, जिसे पूरा किया गया। दहेज में कार, ढाई लाख रुपये नकद और फर्नीचर व अन्य सामान दिया गया। सास ने गहने अपने पास रख लिए और लौटाने से इनकार कर दिया। पति ने दहेज में मिली कार बेच दी। महिला ने आरोप लगाया कि उसके साथ मारपीट की जाती थी और प्रताड़ित भी किया जाता था। महिला का कहना था कि 15 मई 2016 को उसे घर से निकाल दिया गया। इस पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 498ए, 406, 34 और दहेज निषेध अधिनियम की धारा चार के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। अदालत ने कहा कि पूनम, टीनू, नीतू सिंह और नाविश के खिलाफ लगाए गए आरोप सामान्य हैं। इनमें किसी खास घटना या भूमिका का उल्लेख नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि हर आरोपी की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख जरूरी है। अदालत ने पाया कि धारा 406 के तहत केवल सास राजेश पर ही खास आरोप हैं। वहीं, दहेज निषेध अधिनियम की धारा चार के तहत सभी आरोप सामान्य पाए गए, इसलिए सभी को इस धारा से आरोपमुक्त कर दिया गया। अब इस मामले में पति मनीष और सास राजेश के खिलाफ 14 नवंबर को औपचारिक रूप से आरोप तय किए जाएंगे।