पांच साल से छोटे बच्चों को मास्क की जरूरत नहीं
कोरोना गाइडलाइन जारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के लिख खास कोरोना गाइड...
कोरोना गाइडलाइन जारी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के लिख खास कोरोना गाइड लाइन जारी की है, इसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन के प्रयोग की मनाही की गई है
नई दिल्ली। वरिष्ठ संवाददाता
केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से बच्चों के लिए खास कोरोना गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें कोरोना संक्रमित बच्चों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की मनाही है। साथ ही स्टेरॉयड से बचने की सलाह दी गई है। बच्चों के लिए छह मिनट के वॉक टेस्ट की भी सलाह दी गई है। गाइडलाइन में बच्चों को मास्क पहनाने को लेकर कहा गया है कि पांच साल या उससे नीचे की उम्र के बच्चों को मास्क पहनने की जरूरत नहीं है।
ये हैं दिशानिर्देश
-स्टेरॉयड उन बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है जिनमें कोरोना के ज्यादा लक्षण नहीं हों।
-ऐसे मामलों में खुद से दवा लेने से बचने की सलाह दी जाती है।
-स्टेरॉयड का अगर इस्तेमाल किया जाना है तो ये सही वक्त आने पर ही होगा। इसके लिए डॉक्टर तय करेंगे कि कब और कितना स्टेरॉयड दिया जाना है।
-सीटी स्कैन का तय मात्रा में इस्तेमाल किया जा सकता है। इलाज कर रहे डॉक्टरों को सलाह दी जाती है कि वे ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही सीटी स्कैन की सलाह दें।
-पांच साल या उससे नीचे की उम्र के बच्चों को मास्क पहनने की जरूरत नहीं है।
-6-11 साल तक के बच्चे सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अपने परिजनों की सलाह पर मास्क पहन सकते हैं।
पर्याप्त जानकारी नहीं
दिशानिर्देश में कहा गया है कि एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिविर बच्चों पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा क्योंकि इसके लिए फिलहाल पर्याप्त जानकारी नहीं हैं और ये बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। जिन बच्चों में कोरोना के कम लक्षण हों, उनमें एंटी माइक्रोबियल का इस्तेमाल न किया जाए। हालांकि गंभीर मामलों में एंटी माइक्रोबियल दवा दी जा सकती है। हल्के लक्षण वाले बच्चों के लिए 10-15 एमजी पैरासिटामोल की डोज दी जा सकती है जिसे बुखार और गले में दर्द होने की सूरत में हर 4-6 घंटे में लिया जा सकता है।
कफ होने पर क्या करें
कफ के लिए बड़े बच्चों को गुनगुने पानी से गरारे करने की सलाह दी गई है। सामान्य संक्रमण और लक्षण पाए जाने पर तुरंत बच्चे को ऑक्सीजन थेरेपी दी जा सकती है। 12 साल की उम्र से अधिक के बच्चों के लिए छह मिनट वॉक टेस्ट की सलाह दी जाती है जिसे वह अभिभावक या किसी बड़े की देखरेख में कर सकता है।
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कोट
बच्चों के लिए ये दिशानिर्देश काफी देरी से आए हैं। ये दो महीने पहले ही आ जाने चाहिए थे। बच्चों के कोरोना के मामले में सीटी स्कैन कराने की बहुत ही दुर्लभ मामलों में जरूरत होती है।
-डॉक्टर धीरेन गुप्ता, पिडयाट्रिक विभाग, सर गंगाराम अस्पताल