ब्यूरो::: अरुणाचल फ्रंटियर हाइवे परियोजना को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य
- परियोजना में अंतरराष्ट्रीय बार्डर के सामांतर 2000 किमी हाईवे बनाया जा रहा -
- परियोजना में अंतरराष्ट्रीय बार्डर के सामांतर 2000 किमी हाईवे बनाया जा रहा
- 40,000 करोड़ रुपये है इस परियोजना की लागत
नई दिल्ली, अरविंद सिंह
केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर, लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश में देश के अंतरराष्ट्रीय बार्डर की रोड कनेक्टिविटी को मजबूत करने में लगी हुई है। चीन से ताजा विवाद होने के बाद सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों की रोड कनेक्टिविटी का काम काम तेज कर दिया है। इसके तहत सरकार ने अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे योजना के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पैकेज को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। यह हाइवे भारतीय सेना की बॉर्डर तक पहुंच आसान बनायगा। वहीं इससे स्थनीय निवासियों को भी काफी सहूलियत मिलेगी।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय बीआरओ, एनएचएआईडीसीएल, अरुणाचल प्रदेश सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग के साथ मिलकर बॉर्डर रोड कनेक्टिविटी परियोजनाओं को तय समय में पूरा करने में जुटा हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में चीन अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के सामांतर 2000 किलोमीटर नेशनल हाईवे का कई हिस्सों में निर्माण किया जा रहा है। यह हाईवे मागो, तहिंगबू (पश्चिम अरुणाचल)-विजयनगर चांगलांग जिला (पूर्वी अरुणाचल) के बीच बेहतर रोड कनेक्टिविटी मुहैया कराएगा।
उन्होंने बताया कि योजना के मुताबिक चीन-भारत के बॉर्डर (मैकमोहन लाइन) के सामांतर हाईवे का काम तेजी से हो रहा है। खास बात यह है कि हाईवे के माध्यम से अरुणाचल बॉर्डर के सभी जिलों को आपस में रोड कनेक्टिविटी से जोड़ा जा सकेगा। 2022 तक उनका का पूरा किया जाएगा, जो बॉर्डर कनेक्टिविटी को मजबूत बनाएंगे। उन्होंने बताया कि लगभग 40,000 करोड़ की लागत वाला यह मेगा प्रोजेक्ट अरुणाचल प्रदेश में ईस्ट-वेस्ट इंड्रस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना करेगा। इससे पर्यटन व क्षेत्र का विकास तेजी से होगा, वहीं सैन्य वाहनों, रसद, हथियार आदि का बार्डर तक आवगामन तेज गति से हो सकेगा। आलम यह है कि इटानगर से नाहरलगुन तक खराब रोड कनेक्टिविटी के कारण 12 किलोमीटर का सफर 2.5 घंटे में पूरा होता है।