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ब्यूरो ::: दो साल में पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियां रेल से जुड़ेंगी

योजना - चीन, म्यांमार और बांग्लादेश सीमा पर पहुंच भी होगी आसान 55 हजार

ब्यूरो ::: दो साल में पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियां रेल से जुड़ेंगी
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 26 Nov 2021 08:50 PM
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योजना

- चीन, म्यांमार और बांग्लादेश सीमा पर पहुंच भी होगी आसान

55 हजार करोड़ रुपये लागत की रेल परियोजनाएं पर काम चल रहा पूर्वोत्तर में

1353 किलोमीटर की नई रेल लाइन बिछायी जा रही हैं

गुवाहाटी, अरविंद सिंह

पूर्वोत्तर की सभी आठ राज्यों की राजधानियों को वर्ष 2023-24 तक रेल लाइन से जोड़ा जाएगा। रेलवे केंद्र सरकार की पूर्वोत्तर की विकास नीति के तहत इस योजना पर काम कर रहा है।

रेलवे ट्रैक, टनल व पुल बनाने के लिए पूर्वोत्तर में कुल 55 हजार करोड़ लागत की रेल परियोजनाएं चल रही हैं। इसमें सामरिक दृष्टि से कई महत्वपूर्ण रेल लाइनें हैं, जो सेना को चीन, बांग्लादेश एवं म्यांमार सीमाओं तक रेल संपर्क मुहैया कराएंगी। इन परियोजनाओं से पूर्वोत्तर में आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। स्थानीय निवासियों के जीवन में बदलाव आएगा।

पूर्वोत्तर राज्यों में रेल लिंक परियोजनाओं को पूरा करने का काम पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) जोन के पास है। अधिकारियों ने बताया कि इसमें 1353 किलोमीटर की नई रेल लाइन बिछाई जा रही हैं। इन रेल लाइनों से भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के साथ नए रेल लिंक भी जोड़ेगा। अरुणाचल प्रदेश में 2 रेलवे लाइन बन रही हैं। जो तवांग में चीन सीमा तक कनेक्टिविटी देगी। मणिपुर में इंफाल से म्यांमार सीमा पर मोरेह तक रेल लाइन बिछाई जा रही है। त्रिपुरा में बन रही नई रेलवे लाइन से बांग्लादेश सीमा तक पहुंच बनेगी।

एक अधिकारी ने बताया कि कई सामरिक लाइनें भी हैं, जो सुरक्षा बलों की मदद करेंगी। असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा पहले से ही रेल से जुड़े हैं, जबकि मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और नगालैंड की राजधानियां अभी तक नहीं जुड़ी हैं। रेलवे मणिपुर में इंफाल को जोड़ने के लिए असम सीमा पर स्थित मणिपुर के जिरीबाम से 111 किलोमीटर की रेल लाइन भी बना रहा है। अधिकारी ने बताया, ‘इंफाल के जरिये हम म्यांमार सीमा पर मोरेह तक भी पहुंच सकते हैं। इंफाल से इसकी दूरी लगभग 100 किमी है।

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कब तक पूरा होगा काम

एनएफआर के महाप्रबंधक अंशुल गुप्ता ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय रेल लिंक परियोजाओं अगरतला-अखौरा (12 किमी) को मार्च 2022, जोगबनी-विराटनगर (18 किमी) को मार्च 2022, हल्दीबाड़ी-अंतरराष्ट्रीय सीमा (3 किमी) का मंजूर महिससं-बंग्लादेश सीमा (2.25 किमी) का काम अक्तूबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

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सिलीगुड़ी-सियालदह के बीच की दूरी 200 किमी कम होगी

एनएफआर के महाप्रबंधक (निर्माण) सुनील शर्मा ने बताया कि अररिया-गलगालिया रेल लिंक दिसंबर 2023 तक शुरू करने का लक्ष्य है। यह रेल लिंक अलुआबारी-सिलीगुड़ी खंड के लिए वैकल्पिक रेल लिंक होगा। सिलीगुड़ी-सियालदह खंड की यात्री ट्रेनें वाया बांग्लादेश रेलवे (हल्दीबाड़ी बॉर्डर स्टेशन-कटिहार डिविजन) चलाई जा सकेंगी। यह वैकल्पिक रेल लिंक 200 किमी छोटा होगा। जिससे चार घंटे का समय बचेगा।

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ये हैं छह रेल लिंक परियोजनाएं

1 जिरीबाम-इंफाल रेल लाइन परियोजना (110.625 किमी)। दिसंबर 2023 में पूरी करने का लक्ष्य।

2 टेटेलिया-बिरनिहाट रेल लाइन परियोजना (21.50 किमी)। मार्च 2022 तक पूरा किया जाएगा।

3 सिवोक-रंगपो के बीच (44.96 किली) रेल लाइन। मार्च 2023 तक पूरा किया जाएगा।

4 बैरीबी-सैरांग रेल लाइन परियोजना (51.38 किमी)। मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य।

5 बीरनिहत-शिलॉन्ग रेल लाइन परियोजना (108.40 किमी)। लक्ष्य अभी तय नहीं।

6 दीमापुर-कोहिमा रेल लाइन परियोजना (82.50 किमी)। मार्च 2026 में पूरा करने का लक्ष्य।

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