ब्यूरो:::एचटी समिट:::तकनीक के इस्तेमाल से भविष्य में इलाज आसान होगा: वास नरसिम्हन
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता दुनियाभर में बढ़ती बीमारियों के साथ-साथ दवाओं की जरूरत...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता
दुनियाभर में बढ़ती बीमारियों के साथ-साथ दवाओं की जरूरत भी तेजी से बढ़ी है। ऐसे वक्त में तकनीक के इस्तेमाल से आने वाले दिनों में ज्यादा फायदा होगा। यह बात ‘हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में ग्लोबल फार्मास्युटिकल कंपनी नोवार्टिस के सीईओ डॉ. वास नरसिम्हन ने कही। ‘हिन्दुस्तान टाइम्स के एडिटर इन चीफ आर सुकुमार से बातचीत में उन्होंने कहा, आरएनए तकनीक से कई समस्याओं के समाधान की उम्मीद है।
अच्छे परिणाम मिल रहे
डॉ. वास नरसिम्हन ने बताया कि दवाओं के शोध में प्रोटीन तकनीक, आरएनए तकनीक, केमिकल के इस्तेमाल और बीमारी से लड़ने की प्रक्रिया के कई नए तरीके सामने आए हैं। आज हृदय रोग से निपटने के लिए आरएनए तकनीक सामने आई है। इसमें हर छह महीने में एक इंजेक्शन से ही अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। आने वाले दिनों में जिस रफ्तार से शोध किए जा रहे हैं, इस दिशा में और प्रगति होगी। अगले एक दशक में इस तरह की तमाम तकनीक आ जाएंगी जहां बीमारी से लड़ने के लिए हम ज्यादा मजबूत हो जाएंगे। बस चुनौती ये रहेगी कि कैसे दुनियाभर में इसे पहुंचाया जाए ताकि सभी इसका इस्तेमाल कर पाएं। उन्होंने कहा कि दवाओं तक लोगों को पहुंच और उसकी खरीदने की सामर्थ्य के हिसाब से दवा बनाना संभव है।
कारोबारी में कई चुनौतियां
नरसिम्हन ने कहा कि महामारी जैसी परिस्थितियों से फार्मा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने को भी प्रोत्साहन मिलेगा। जिस तरह नई-नई बीमारियां आ रही हैं, सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को बेहतर तकनीक के इस्तेमाल के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि भविष्य में यदि कोई महामारी आती है तो हम बेहतर मुकाबला कर सकें। कारोबारी चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक दवा को मनुष्य पर इस्तेमाल के लिए तैयार करने में बड़ा समय लगता है। ऐसे में किसी तरह की थेरेपी को सहारा देने वाली दवा बनाने में उसे नियामक की मंजूरी मिलने और उनके इस्तेमाल को शुरू करने में तेजी बड़ी चुनौती है।
नई दवाओं के विकास पर जोर
नरसिम्हन ने कहा, भविष्य में नोवार्टिस का फोकस शोध और नई दवाओं के विकास पर रहने वाला है। कंपनी के सीईओ ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा के जरिए नई दवाओं को बनाने में सफलता मिलेगी। दवा कंपनियों को न केवल लंबे समय तक रहने वाली बीमारियों से निपटना होगा बल्कि संक्रामक बीमारियां भी बड़ी चुनौती हैं। बता दें कि नोवार्टिस कंपनी सालाना अपनी दवाइयां करीब 28 करोड़ मरीजों तक पहुंचाती है।
कोरोना मानव शरीर के अनुकूल हो रहा
ये पूछे जाने पर कि क्या कोरोना महामारी खत्म हो गई है उन्होंने कहा, ये वायरस एक ऐसी परिस्थिति की तरफ बढ़ता जा रहा है जहां वे मानव शरीर के अनुकूल हो जाते हैं और मानव शरीर वायरस के अनुकूल हो जाता है। वहीं दुनियाभर में लोगों को दवाओं की उपलब्धता के बारे में उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि बीमारी की पहचान शुरू में ही हो जाए। खासतौर पर मध्यम और निम्न आय वाले देशों में। यहां यदि बीमारी की शुरुआत में पहचान हो गई तो इलाज आसान हो जाता है क्योंकि हमारे पास कई जेनेरिक दवाएं मौजूद हैं।
भारत सरकार की प्राथमिकता बदलीं
अपने हैदराबाद सेंटर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वहां के लोगों की न केवल प्रतिभा बल्कि ऊर्जा भी प्रभावशाली है। इन लोगों का कंपनी में बेहतरीन योगदान है जिससे न केवल देश के बाजारों में बल्कि दुनिया के बाजारों में पहुंच बनाने में मदद मिल रही है। भारत में पिछले कुछ दिनों में हुए सरकार की बदलती प्राथमिकताओं और स्वास्थ्य की दिशा में बढ़ते खर्च को देखते हुए नई तकनीक वाले उत्पादों का बाजार बढ़ रहा है। उन्होंने कह कि खास तौर पर भारत में हैदराबाद सेंटर में देश की जरूरत को देखते हुए अपने शोध को आगे बढ़ाएंगे। कोरोना के दौर जिस तरह से दुनिया ने नई दवाओं के विकास में तेजी हासिल की है उससे आने वाले दिनों में इस विज्ञान के और तेज बढ़ने की संभावनाएं पैदा होती हैं।
