शिक्षा भारत की आर्थिक गति तेज कर सकती है : बिल गेट्स
स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार कर भारत की आर्थिक तरक्की की तस्वीर को बेहतर किया जा सकता है। शिक्षकों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सुविधाओं की डिलीवरी, समस्या के समाधान के लिए शोधपरक...
स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार कर भारत की आर्थिक तरक्की की तस्वीर को बेहतर किया जा सकता है। शिक्षकों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सुविधाओं की डिलीवरी, समस्या के समाधान के लिए शोधपरक अध्ययन और सकारात्मक प्रयासों से भारत दुनिया के देशों को पछाड़ सकता है और अपने नागरिकों को एक उम्दा जीवन प्रदान कर सकता है। बीते कुछ सालों में भारत ने महामारियों और टीबी, कालाजार जैसे रोगों से लड़ने में अच्छा काम किया है लेकिन इससे पूरी तरह मुक्ति के लिए अधिक प्रयासों की जरूरत है। यह बात माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक और बिल एंड मेंडिला गेट्स फाउंडेशन के सह संयोजक बिल गेट्स ने ऑर्ब्जवर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित मानव पूंजी, तरक्की और जननीति (ह्यूमन कैपिटल, ग्रोथ एंड पब्लिक पॉलिसी) विषय पर आयोजित चर्चा में कही। इस मौके पर वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल, अशोका विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रताप भानु मेहता और कृषि एवं शहरी विकास मामलों की विशेषज्ञ इरीना विट्टल उपस्थित थी।
दस सालों की तरक्की प्रभावी : गेट्स ने कहा कि बीते दस सालों में भारत की तरक्की प्रभावित करने वाली है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत ने काफी सुधार किया है। वैक्सीन के मामले में काफी काम हुआ है, मृत्यु दर कम हुई है। भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए एक मिसाल है। यहां पर निवेश करना इसलिए अधिक उत्साहित करता है क्योंकि यहां पर परिणाम अच्छे आते हैं। लोगों की समस्याओं से लड़ने की शक्ति और बेहतर चीजों को स्वीकार करने की क्षमता लाजवाब है। भारत में वैक्सीन का सप्लाई चेन सिस्टम पहले खराब था पर अब इसमें काफी सुधार हुआ है। मौजूदा समय में भारत को अपने प्राथमिक स्वास्थ्य और पोषण सिस्टम को मजबूत करना होगा। इसके लिए सरकारी और प्राइवेट सेक्टर को मिल कर काम करना होगा। भारत में तरक्की और काम करने की तुलना कोरिया, रवांडा और ताइवान से नहीं की जा सकती क्योंकि भारत में लोकतंत्र और लोगों की चीजों को सुधारने की क्षमता बेमिसाल है। इसके लिए सरकारी और प्राइवेट सेक्टर को मिलकर काम करना हेागा। भारत में काम करना सबसे सुखद है।
सेहत की वजह से क्षमताएं कम हो जाती : गेट्स ने कहा कि कुछ सालों पहले का आंकड़ा बताता है कि 48 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार है। अगर यह बच्चे 12 से 17 साल पहले पैदा हुए होंगे तो इसका मतलब यह है कि यह कामकाजी युवा सेहत और कुपोषण की वजह से अपनी क्षमताओं का सही प्रयोग नहीं कर पाएंगे।