Bangladesh Requests Extradition of Sheikh Hasina from India Based on Court Warrant राजनीतिक मामलों में प्रत्यर्पण संधि पर अमल आसान नहीं, Delhi Hindi News - Hindustan
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राजनीतिक मामलों में प्रत्यर्पण संधि पर अमल आसान नहीं

बांग्लादेश ने भारत से अपनी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग की है। भारत ने सूचना प्राप्त की है लेकिन अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक मामलों...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 24 Dec 2024 05:47 PM
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राजनीतिक मामलों में प्रत्यर्पण संधि पर अमल आसान नहीं

- बांग्लादेश ने कोर्ट के वारंट को आधार बना भारत से की है हसीना को सौंपे जाने की मांग - संधि में दो प्रावधान के तहत बांग्लादेश को इनकार करने का भारत को अधिकार

- शेख हसीना को मिल सकता है इसका फायदा

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। बांग्लादेश ने भारत से अपनी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत सौंपे जाने की मांग की है। भारत ने इसकी सूचना प्राप्त होने की बात तो कही है लेकिन इस पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस बीच, विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक मामलों में प्रत्यर्पण संधि का क्रियान्वयन आसान नहीं है। ऐसे मामलों में संधि के प्रावधान भारत को इनकार करने का हक देते हैं।

भारत-बांग्लादेश के बीच 2013 में पहली बार प्रत्यर्पण संधि हुई थी, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि दोनों देश एक दूसरे के अपराधियों को इस संधि के तहत सौंपेंगे। मोटे तौर पर इसमें वे अपराध शामिल किए गए थे, जिनमें कम से कम एक साल या इससे अधिक सजा का प्रावधान हो। वे ऐसे अपराध हों जो दोनों देशों में अपराध के रूप में मान्य हो। मसलन, बांग्लादेश का कोई अपराध यदि भारत में अपराध मान्य नहीं है, तो ऐसे मामले में प्रत्यर्पण संधि लागू नहीं होगी। संधि के प्रावधानों के तहत अदालत में आरोप सिद्ध होने या सजा होने के बाद ही संधि के तहत अपराधी एक-दूसरे को सौंपे जा सकते हैं। लेकिन 2016 में इस संधि में दोनों देशों ने संशोधन किया जिसमें सिर्फ अदालत के गिरफ्तारी वारंट के आधार पर ही अपराधियों को सौंपे जाने का प्रावधान किया। शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते हुए प्रत्यर्पण संधि और उसमें संशोधन हुए। आज उनके बनाए नियम उन्हीं के खिलाफ लागू हो रहे हैं। बांग्लादेश ने अदालत के वारंट को आधार बनाकर ही भारत से उन्हें सौंपे जाने की मांग की है।

ये हैं संधि के दो महत्वपूर्ण प्रावधान

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस संधि के दो प्रावधान ऐसे हैं, जो भारत को यह अधिकार देते हैं कि वह बांग्लादेश को इनकार कर सके। जैसे संधि के नियम 6 में यह कहा गया है कि अगर आरोप राजनीतिक प्रकृति के हों तो कोई भी पक्ष प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है। इसी प्रकार नियम 8 के तहत यह प्रावधान है कि यदि किसी देश को लगता है कि अपराधी के साथ उसके देश में न्याय होने के हालात नहीं हैं तो ऐसे में भी कोई देश प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है। बांग्लादेश में अभी ऐसी स्थितियां बनी हुई हैं कि वहां शेख हसीना के खिलाफ आरोप न सिर्फ राजनीतिक हैं बल्कि वहां जाने पर उनके साथ न्याय भी नहीं होगा बल्कि बदले की भावना से कार्रवाई होगी।

दस दिन में आधिकारिक संदेश भेज सकता है भारत

सूत्रों के अनुसार, भारत अगले दस दिनों के भीतर इस मुद्दे पर बांग्लादेश को एक आधिकारिक संदेश भेज सकता है, जिसमें वह इस मामले का ब्योरा मांग सकता है, या संधि के प्रावधानों का हवाला दे सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो भारत की कोशिश होगी कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार रहने तक इस मामले में कोई निर्णय न करे। दरअसल, 2025 के आखिर तक वहां चुनाव होने हैं, तब तक भारत इस मामले को लंबित रख सकता है।

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