बड़े अस्पताल में काम करने वाले 40 फीसदी सुरक्षा गार्ड तंबाकू का सेवन करते हैं
एम्स दिल्ली के एक अध्ययन में दावा किया गया, लगभग 700 सुरक्षा कर्मियों पर अध्ययन किया...
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। तंबाकू का सेवन न सिर्फ कैंसर की वजह बनता है बल्कि इससे फेफड़े, लिवर, पेट, किडनी और दांतों की अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। एम्स दिल्ली के एक अध्ययन में दावा किया गया कि बड़े अस्पतालों में तैनात 40 फीसदी से अधिक सुरक्षाकर्मी तंबाकू से जुड़े उत्पाद का सेवन करते हैं।
अस्पताल के दंत चिकित्सा केंद्र की ओर से लगभग 700 सुरक्षा कर्मियों पर अध्ययन किया गया। इनमें 40.1 फीसदी ने तम्बाकू का सेवन किया, जिसमें 15 फीसदी धूम्रपान करने वाले तंबाकू उत्पाद जैसे बीड़ी और सिगरेट और 74.5% धूम्रपान रहित तम्बाकू जैसे गुटखा आदि का सेवन करते थे। इसके अतिरिक्त, 10.3 फीसदी ने धूम्रपान और धूम्रपान रहित दोनों तरह से तम्बाकू के सेवन की बात स्वीकार की है। 59.9 फीसदी सुरक्षाकर्मी तंबाकू का सेवन नहीं करते पाए गए।
तनाव-लंबी शिफ्ट बढ़ाती है आदत
अध्य्यन के मुताबिक, सुरक्षा गार्ड अस्पतालों सहित विविध वातावरणों में सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जहां उनके दायित्वों में अक्सर लंबी और रात की शिफ्ट शामिल होती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि सुरक्षा गार्ड को संभावित तनावपूर्ण स्थितियों का प्रबंधन भी करना होता है। ये कारक तंबाकू के उपयोग जैसी आदतों को बढ़ा सकते हैं।
मुफ्त हेल्पलाइन कर सकती है मदद
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के तहत तंबाकू छोड़ने के लिए हेल्पलाइन चलाई जा रही है। कोई भी टोल फ्री नंबर 1800112356 पर कॉल करके तंबाकू छोड़ने के कार्यक्रम से जुड़ सकता है। मरीज को कार्यक्रम के तहत पंजीकृत करने के दौरान तंबाकू छोड़ने की तारीख तय कर दी जाती है। इलाज शुरू करने से पहले मरीज का पूरा मूल्यांकन किया जाता है। उसके बाद उसकी तंबाकू छुड़वाई जाती है। एक साल तक मरीज की निगरानी की जाती है। मरीज को पूरे समय काउंसलिंग भी दी जाती है।
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