अंतरिम जमानत बढ़वाने शख्स ने कोर्ट में बोला झूठ, अदालत का पुलिस को निर्देश- FIR दर्ज करो
- कोर्ट ने चौधरी के वकील की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने बताया कि उनके मुवक्किल ने उस दिन उसी क्लिनिक में एक जूनियर डॉक्टर से मुलाकात की थी। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में किसी जूनियर डॉक्टर का नाम या हस्ताक्षर नहीं था।
दिल्ली की अदालत में एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें जालसाजी और धोखाधड़ी के एक आरोपी ने अपनी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़वाने के लिए एकबार फिर जालसाजी का सहारा लेने की कोशिश की। लेकिन अदालत की सतर्कता की वजह से उसका झूठ पकड़ा गया। अब कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ पुलिस को एक नई FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुगंधा अग्रवाल ने यह निर्देश त्रिलोक चंद चौधरी की याचिका पर सुनवाई करने के दौरान दिए, जो कि EOW (आर्थिक अपराध शाखा) द्वारा दर्ज धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के मामले में आरोपी है।
यह है पूरा मामला
आरोपी त्रिलोक चंद चौधरी को 3 अगस्त को मेडिकल कारणों से चार सप्ताह की अंतरिम जमानत दी गई थी। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में यह बताते हुए जमानत अवधि बढ़ाने के लिए याचिका दायर की, कि उनकी हालत बेहद नाजुक है, क्योंकि उन्हें 100 प्रतिशत हार्ट ब्लॉकेज है और वे अनियंत्रित डायबिटीज से जूझ रहे हैं।
अदालत ने कहा कि चौधरी ने 11 सितंबर की अपनी जो मेडिकल रिपोर्ट जमा की थी, उसके मुताबिक डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी थी कि ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में आने के महीनेभर बाद वे कोरोनरी एंजियोग्राफी और स्टेंट लगवा लें। जबकि अदालत के अनुसार इससे पहले 2 सितंबर को उसी डॉक्टर ने आरोपी को यह कहते हुए छुट्टी दे दी थी कि उसकी हालत स्थिर है।
कोर्ट ने कहा कि 'जांच अधिकारी ने जब वेरिफिकेशन किया तो पता चला कि असल में चौधरी की जांच ही नहीं हुई थी क्योंकि वह 11 सितंबर को डॉक्टर के पास गया ही नहीं था। पर्चे पर डॉक्टर की मुहर नहीं थी और डॉक्टर की लिखावट और हस्ताक्षर पहले की रिपोर्ट से अलग थे।'
कोर्ट ने चौधरी के वकील की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने बताया कि उनके मुवक्किल ने उस दिन उसी क्लिनिक में एक जूनियर डॉक्टर से मुलाकात की थी। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में किसी जूनियर डॉक्टर का नाम या हस्ताक्षर नहीं था।
अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा, 'उपरोक्त परिस्थितियों से पता चलता है कि आवेदक ने अदालत से अपने पक्ष में अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए डॉक्टर का जाली और मनगढ़ंत पर्चा कोर्ट के रिकॉर्ड पर रखा है। साथ ही इससे एक बात और स्पष्ट हो जाती है कि आवेदक की हेल्थ कंडिशन दवा के साथ स्थिर रह सकती है।'
अदालत ने कहा कि आवेदक ने अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए अदालत को गुमराह किया और इतना कहकर याचिका खारिज कर दी। साथ ही अदालत ने साकेत थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को चौधरी के खिलाफ FIR दर्ज करने और मामले की जांच करने का निर्देश दिया।
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